माँ अन्नपूर्णा आरती भजन

अन्नपूर्णा आरती Maa Annapurna Aarti

बारम्बार प्रणाम मैया बारम्बार प्रणाम
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अमिबके,
कहां उसे विश्राम |
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो,
लेत होत सब काम ||
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर,
कालान्तर तक नाम |
सुर सुरों की रचना करती,
कहाँ कृष्ण कहं राम ||
चूमहि चरण चतुर चतुरानन,
चारू चक्रधर श्याम |
चन्द्र चूड़ चन्द्रानन चाकर,
शोभा लखहि ललाम ||
देवी देव | दयनीय दशा में,
दया दया तब जाम |

त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल,
शरणरूप तब धाम ||
श्री ह्रीं श्रद्धा भी ऐ विधा,
श्री कलीं कमला काम |
कानित भ्रांतिमयी कांतिशांति,
सयीवर दे तू निष्काम ||
 
 देवी अन्नपूर्णा हिन्दू धर्म की अन्न की देवी हैं, जो धन, वैभव और सुख शांति को प्रदान करती हैं| इन्हे अन्न की पूर्ति करने वाली देवी माना जाता है | मान्यता है कि देवी अन्नपूर्णा भक्तों की भूख शांत करती है| इनकी आराधना करने वाले भक्तों के घर मे कभी अनाज की कमी नहीं होती है। माता की कृपा से अमीर हो या गरीब सभी को हर तरह के भोजन की आवशयकता पूरी होती है।


श्री अन्नपूर्णा देवी जी की आरती | मैया बारम्बार प्रणाम | Devi Annapurna Aarti

अन्नपूर्णा माता को हिंदू धर्म में अन्न और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनका नाम "अन्नपूर्णा" का अर्थ है "अन्न से परिपूर्ण", और वे सभी जीवों की भूख को शांत करने वाली देवी हैं। मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा काशी में निवास करती हैं और भगवान शिव ने स्वयं उनसे भोजन का वरदान मांगा था। उनकी कृपा से संसार में अन्न की कोई कमी नहीं होती। मां अन्नपूर्णा को सौभाग्य, शांति और पोषण की प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा विशेष रूप से धन और समृद्धि की कामना करने वाले भक्त करते हैं। ऐसा विश्वास है कि जो भी सच्चे मन से मां की आराधना करता है, उसके जीवन में कभी अन्न की कमी नहीं होती। मां अन्नपूर्णा करुणामयी हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं।
 
माँ अम्बिके के चरणों में बार-बार प्रणाम है। जो तुम्हारा ध्यान नहीं करता, उसका मन कभी शांति नहीं पाता, जैसे बिना मंजिल का पथिक भटकता रहता है। अन्नपूर्णा के नाम से हर कार्य सिद्ध होता है, मानो कोई भूखा यात्री अचानक भोजन का खजाना पा ले। तुम्हारा नाम प्रलय, युगों और जन्मों से परे, काल को भी लांघता है।

तुम ही सृष्टि की रचयिता हो, जहाँ कृष्ण और राम जैसे अवतार तुम्हारी कृपा से प्रकट होते हैं। ब्रह्मा तुम्हारे चरण चूमते हैं, विष्णु और श्याम तुम्हारी महिमा में लीन हैं। चंद्रमा को मस्तक पर धारण करने वाले शिव और उनकी शोभा तुम्हारी कृपा से ही ललाम है। देवी, तुम दीन-दुखियों पर दया की वर्षा करती हो, जैसे माता अपने रोते बालक को गोद में ले लेती है। 

Song: Devi Annapoorna Aarti
Singer:- Sudha Biswas
Music:- Sourav Mondal

शरणागत की पुकार सुन, तुम त्राहि-त्राहि कर उसे आश्रय देती हो। तुम्हारा धाम ही शरण का सच्चा ठिकाना है। श्री, ह्रीं, क्लीं जैसे मंत्रों में तुम्हारी शक्ति बसती है, जो श्रद्धा और विद्या का प्रकाश फैलाती है। कमला के रूप में तुम कामनाओं को पूर्ण करती हो, पर भ्रांति और माया से मुक्त कर शांति देती हो।

हे माँ, सच्चे मन से तुम्हें पुकारें। तुम्हारी भक्ति में निष्काम भाव से डूबें, ताकि जीवन का हर भय और संशय मिटे। तुम्हारा आलिंगन ही वह शक्ति है, जो आत्मा को मुक्ति की राह दिखाता है। 

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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