मेरा अंतर तिमिर मिटाओ सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ हे योगेश्वर, हे परमेश्वर, निज कृपा दृष्टि बरसाओ सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ हम बालक तेरे द्वार पे आये, मंगल दरश कराओ सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ अंतर में युग युग से सोई चित्त-शक्ति को जगाओ सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ सांची ज्योत जगे हृदय में सोहम नाद जगाओ सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ शीश झुकाये करें तेरी आरती, प्रेम सुधा बरसाओ सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ जीवन में श्री राम अविनाशी, चरनन शरण लगाओ सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ
गुरबानी पौड़ी 16 : पंच परवाण पंच परधान : जपुजी साहिब अर्थसहित पाठ (W/meaning in English & Hindi)
Mera Antar Timir Mitao Sataguru Jyot Se Jyot Jalao He Yogeshvar, He Parameshvar, Nij Krpa Drshti Barasao Sataguru Jyot Se Jyot Jalao Ham Baalak Tere Dvaar Pe Aaye, Mangal Darash Karao Sataguru Jyot Se Jyot Jalao Antar Mein Yug Yug Se Soee Chitt-shakti Ko Jagao Sataguru Jyot Se Jyot Jalao Saanchee Jyot Jage Hrday Mein Soham Naad Jagao Sataguru Jyot Se Jyot Jalao Sheesh Jhukaaye Karen Teree Aaratee, Prem Sudha Barasao Sataguru Jyot Se Jyot Jalao Jeevan Mein Shree Raam Avinaashee, Charanan Sharan Lagao Sataguru Jyot Se Jyot Jalao
मन के भीतर का अंधेरा मिटे, सतगुरु की कृपा से हृदय में प्रकाश फैले। वह ज्योत ऐसी जो आत्मा को जागृत कर दे, जैसे सूरज की किरणें तम को चीर दें। योगेश्वर की करुणा की वर्षा हो, जो मन को शांति और दिशा दे। द्वार पर आए बालक को मंगल दर्शन मिले, ताकि जीवन का हर पथ आलोकित हो। युगों से सोई चेतना जागे, हृदय में सत्य का नाद गूँजे, जो 'सोहम' की ध्वनि में साकार हो। आरती के साथ शीश झुके, प्रेम की सुधा मन को तृप्त करे। श्री राम के चरणों में शरण मिले, जीवन अविनाशी सत्य से जुड़े। यह सतगुरु की भक्ति का मार्ग है, जहाँ ज्योत से ज्योत जलती है, और आत्मा परम सत्य से एकाकार होती है।