आज सोमवार है शिवाले जाएंगे
आज सोमवार है शिवाले जाएंगे
आज सोमवार है शिवाले जाएंगे,ॐ नमः शिवाये हम गाते जाएंगे,
धुप दीप भंग आक धतूरा चांदी थाल सजाके,
गंगा जल से भर के लौटा गौका दूध मिलाके,
नंगे पॉंव चल भोले के मंदिर जाएंगे,
आज सोमवार है शिवाले जाएंगे,
चढ़ाके जल शिव पिंडी को हम तिलक करें चंदन का,
श्रृंगार करें त्रिलोकी के मालिक प्यारे भगवन का,
शिव पिंडी के दर्शन कर हम धन्य हो जाएंगे,
आज सोमवार है शिवाले जाएंगे,
शिव भोले के जो भी सोलह सोमवार व्रत धारे,
सुख सम्पदा लुटाते उसपर हैं शिव भोले प्यारे,
शिव भोले से मन चाहा फल हम भी पाएंगे,
आज सोमवार है शिवाले जाएंगे,
दर तेरे पे आन खड़े हैं मिलके शिव हरिपाल,
तेरे गुण गायें कैसे ना जाने सुर और ताल,
बनी रहे कृपा हम तेरी महिमा गाएंगे,
आज सोमवार है शिवाले जाएंगे,
सुंदर भजन में सोमवार के पावन दिन को विशेष रूप से शिव भक्ति के लिए समर्पित किया गया है। इसमें श्रद्धा और समर्पण का भाव स्पष्ट रूप से झलकता है, जहाँ भक्त अपने आराध्य शिव के मंदिर जाने के लिए पूर्ण मनोयोग से तैयार है। भक्ति की यह भावना शिव के पूजन में गहराई से प्रकट होती है। भक्त अपने आराध्य को धूप, दीप, भांग, धतूरा, चंदन और गंगाजल अर्पित करने का संकल्प लेता है, जिससे उसकी श्रद्धा और निष्ठा प्रकट होती है। नंगे पाँव मंदिर जाने का भाव यह दर्शाता है कि शिव के प्रति प्रेम में कोई बाधा नहीं होती, बल्कि सच्चा भक्त कठिनाइयों को भी आनंदपूर्वक स्वीकार करता है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने और चंदन का तिलक करने की क्रिया से शिव की दिव्यता और महिमा का स्मरण होता है। यह न केवल पूजन की प्रक्रिया है, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जो मन को पवित्रता और शांति प्रदान करता है।
भजन में सोमवार व्रत की महिमा का भी उल्लेख है, जहाँ शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और उनके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देते हैं। यह दर्शाता है कि जो सच्चे मन से शिव की आराधना करता है, उसे जीवन में मनचाहा फल मिलता है।