आजा मेरे कन्हैया बिन मांझी के सहारे

आजा मेरे कन्हैया बिन मांझी के सहारे

आजा मेरे कन्हैया बिन मांझी के सहारे,
डूबेगी मेरी नैया आजा मेरे कन्हैया,
बीच भँवर में नैया बन जाओ श्याम खिवैया,
आजा मेरे कन्हैया बिन मांझी के सहारे,
डूबेगी मेरी नैया आजा मेरे कन्हैया,

बैठे है आप ऐसे सुनता नहीं हो जैसे,
नैयाँ हमारी मोहन उतरेगी पार कैसे,
तुझे क्या पता नहीं है मझधार में पड़ी है ,
आजा मेरे कन्हैया बिन मांझी के सहारे,
डूबेगी मेरी नैया आजा मेरे कन्हैया,

मेहनत से हमने अपनी नैया ठीक बनाई,
लेकिन भवर में मोहन कोशिश न काम आई,
हारे है हम तो जब भी तूफानों से लड़े है,
आजा मेरे कन्हैया बिन मांझी के सहारे,
डूबेगी मेरी नैया आजा मेरे कन्हैया,

पतवार खेते खेते आखिर मैं थक गया हु,
श्याद तू आता होगा कुछ देर रुक गया हु,
वनवारी बेबसी में चुप चाप हम खड़े है,
आजा मेरे कन्हैया बिन मांझी के सहारे,
डूबेगी मेरी नैया आजा मेरे कन्हैया,


सुंदर भजन में भक्त की पुकार और श्रीकृष्णजी के प्रति अटूट विश्वास को प्रदर्शित किया गया है। जीवन के कठिन संघर्षों में जब सभी मार्ग बंद प्रतीत होते हैं, तब मनुष्य ईश्वर की शरण में जाता है, क्योंकि वही सच्चे नाविक हैं, जो जीवन की नैया को सुरक्षित पार लगा सकते हैं। यह अनुभूति बताती है कि मनुष्य अपनी सामर्थ्य से कठिनाइयों से जूझता रहता है, लेकिन जब प्रयास असफल हो जाते हैं और संकट अधिक गहरा हो जाता है, तब ईश्वर ही एकमात्र सहारा बनते हैं। संसार की विपत्तियाँ जब चारों ओर से घेर लेती हैं, तब श्रीकृष्णजी की कृपा ही भक्त को उस भंवर से मुक्त करने का मार्ग दिखाती है।

समर्पण की यह पराकाष्ठा दर्शाती है कि केवल कर्म करने से ही सफलता नहीं मिलती, बल्कि प्रभु की कृपा ही वास्तविक विजय का कारण बनती है। जब भक्त अपनी समस्त आशाओं को श्रीकृष्णजी पर छोड़कर आत्मसमर्पण करता है, तब उसकी समस्त बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं और उसकी नैया सहज रूप से पार हो जाती है।


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