आया मैं आस लेकर सरकार कुछ ना चाहूँ,
अखियां तरस रही है दीदार तेरा चाहूँ।
काबिल नहीं मैं तेरे बाबा काबिल मुझे बनाना होगा,
ना ही लायक हूँ मैं बाबा लायक मुझे बनाना होगा,
साथ छोड़ा जग ने मेरा साथ तुझे निभाना होगा,
इस निर्धन की कुटियां में तुम्हे,
साँवरे इक दिन आना होगा,
तेरे प्यार के ना काबिल फिर भी मैं प्यार चाहूँ,
आया मैं आस लेकर सरकार कुछ ना चाहूँ।
कितने है एहसान तेरे कैसे उन्हें चुकाऊ मैं,
पग पग तूने साथ निभाया भूल नहीं ये पाऊँ मैं,
मन में सोचूँ नीर बहाऊँ कैसे तुझे मनाऊ मैं,
झूठ कपट से भरा हुआ हु कैसे दर्शन पाऊँ,
अपना लो अब मुझे भी दातार यही चाहूँ,
आया मैं आस लेकर सरकार कुछ ना चाहूँ,
मात पिता हो तुम ही मेरे तुम से ही पहचान मेरी,
राह दिखाई तुमने हर दम जब जब विपदा आन पड़ी,
कर दो नजर दया की बाबा मुझको हे दरकार तेरी,
भूल चूक की माफ़ी दे दो मुझको मेरे श्याम धणी,
विश्वास करलो मुझपे उपकार येही चाहूँ,
आया मैं आस लेकर सरकार कुछ ना चाहूँ,
आस पुगा दो मुझे पीला दो भक्ति रस का अब प्याला,
उतरे ना वो रंग चढ़ा दो तेरा मुझ पे नंदलाला,
गाता रहूं भजन मैं तेरे होक तेरा मतवाला,
दम निकले तेरी चौकठ पे सुनले गोकुल के ग्वाला,
रजनी न छूटे मुझसे दरबार येही चाहूँ,
अखियां तरस रही है दीदार तेरा चाहूँ,
आया मैं आस लेकर सरकार कुछ ना चाहूँ,
अखियां तरस रही है दीदार तेरा चाहूँ।
काबिल नहीं मैं तेरे बाबा काबिल मुझे बनाना होगा,
ना ही लायक हूँ मैं बाबा लायक मुझे बनाना होगा,
साथ छोड़ा जग ने मेरा साथ तुझे निभाना होगा,
इस निर्धन की कुटियां में तुम्हे,
साँवरे इक दिन आना होगा,
तेरे प्यार के ना काबिल फिर भी मैं प्यार चाहूँ,
आया मैं आस लेकर सरकार कुछ ना चाहूँ।
कितने है एहसान तेरे कैसे उन्हें चुकाऊ मैं,
पग पग तूने साथ निभाया भूल नहीं ये पाऊँ मैं,
मन में सोचूँ नीर बहाऊँ कैसे तुझे मनाऊ मैं,
झूठ कपट से भरा हुआ हु कैसे दर्शन पाऊँ,
अपना लो अब मुझे भी दातार यही चाहूँ,
आया मैं आस लेकर सरकार कुछ ना चाहूँ,
मात पिता हो तुम ही मेरे तुम से ही पहचान मेरी,
राह दिखाई तुमने हर दम जब जब विपदा आन पड़ी,
कर दो नजर दया की बाबा मुझको हे दरकार तेरी,
भूल चूक की माफ़ी दे दो मुझको मेरे श्याम धणी,
विश्वास करलो मुझपे उपकार येही चाहूँ,
आया मैं आस लेकर सरकार कुछ ना चाहूँ,
आस पुगा दो मुझे पीला दो भक्ति रस का अब प्याला,
उतरे ना वो रंग चढ़ा दो तेरा मुझ पे नंदलाला,
गाता रहूं भजन मैं तेरे होक तेरा मतवाला,
दम निकले तेरी चौकठ पे सुनले गोकुल के ग्वाला,
रजनी न छूटे मुझसे दरबार येही चाहूँ,
अखियां तरस रही है दीदार तेरा चाहूँ,
आया मैं आस लेकर सरकार कुछ ना चाहूँ,