मैया को आज मनाने चलो माई

मैया को आज मनाने चलो माई को चुनर चढाने चलो

(मुखड़ा)
मैया को आज मनाने चलो,
माई को चुनर चढ़ाने चलो,
मैया को आज मनाने चलो।

(अंतरा)
कोई लाल रंग लो चुनरी,
कोई पीली रंग लो चुनरी,
कोई नारंगी चुनरी ले चलो।
माई को चुनर चढ़ाने चलो,
मैया को आज मनाने चलो।

(अंतरा)
कोई सिन्दूर संग लो बिंदिया,
कोई महावर संग लो बिछिया,
कोई पूरी हलवा ले चलो।
माई को चुनर चढ़ाने चलो,
मैया को आज मनाने चलो।

(अंतरा)
कोई लाल झंडे निशान चढ़ाओ,
सारे झूम जाएँ जयकारे लगाओ,
सोया नसीब जगाने चलो।
माई को चुनर चढ़ाने चलो,
मैया को आज मनाने चलो।

(पुनरावृति)
मैया को आज मनाने चलो,
माई को चुनर चढ़ाने चलो,
मैया को आज मनाने चलो।


मैया को चुनर चढ़ाकर भक्त उन्हें मनाने की तैयारी करते हैं। लाल, पीली, नारंगी चुनरियों से माँ का श्रृंगार होता है। यह भजन माँ की भक्ति और नसीब जगाने की भावना को दर्शाता है।
 


माई को चुनर चढ़ाने चलो - Mata HD Video Song - Shahnaz Akhtar - New Devi Geet - Ambey Bhakti

माँ के चरणों में समर्पण की भावना ऐसी है, मानो हर भक्त अपने हृदय का सबसे सुंदर उपहार लेकर उनके द्वार पर हाजिर हो। चुनरी, बिंदिया, महावर, और पूरी-हलवे का अर्पण केवल भेंट नहीं, बल्कि प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक है, जो माँ के प्रति अटूट निष्ठा को दर्शाता है। लाल, पीली, नारंगी चुनरियाँ रंगों की तरह जीवन की विविधता को माँ के चरणों में सजा देती हैं।

जयकारों की गूंज और लाल झंडों का निशान माँ की महिमा का उत्सव है, जो सोए हुए भाग्य को जगा देता है। उदाहरण के लिए, जैसे कोई दीया जलाकर अंधेरे को दूर करता है, वैसे ही माँ की भक्ति मन के सारे संशय मिटा देती है। यह आह्वान है कि हर कोई माँ को मनाने, उनके प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने उनके दर पर चले। यह भक्ति का वह पल है, जो हृदय को आनंद और जीवन को नई दिशा से भर देता है।

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