बढ़ते चलो बढ़ते चलो बढ़ते चलो जवानो
बढ़ते चलो बढ़ते चलो बढ़ते चलो जवानो
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।ऎ देश के सपूतो! मज़दूर और किसानो।।
है रास्ता भी रौशन और सामने है मंज़िल।
हिम्मत से काम लो तुम आसान होगी मुश्किल।।
कर के उसे दिखा दो, जो अपने दिल में ठानो।
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।।
भूखे महाजनों ने, ले रखे हैं इजारे।
जिनके सितम से लाखों फिरते हैं मारे-मारे।।
हैं देश के ये दुश्मन! इनको न दोस्त जानो।
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।।
Ai Desh Ke Saputo! Mazadur Aur Kisaano..
Badhte chalo motivational song
“बढ़ते चलो” एक जोशीला गीत है, जो देश के नौजवानों, मजदूरों और किसानों में हिम्मत और एकता की भावना जगाता है। यह ऐसा है, जैसे कोई क्रांतिकारी आवाज़ देश के सपूतों को एकजुट होकर आगे बढ़ने का आह्वान कर रही हो। गीत का हर शब्द उस जज़्बे को दर्शाता है, जो मुश्किलों को आसान बनाने और मंज़िल तक पहुँचने की ताकत देता है, जैसे कोई सेनापति अपने सैनिकों को युद्ध के लिए प्रेरित करता हो।
रास्ते के रौशन होने और मंज़िल के सामने होने का जिक्र उस आशा को जागृत करता है, जो हिम्मत से हर चुनौती को पार करने की प्रेरणा देता है। यह भाव है, जैसे कोई अपने साथियों को कहे, “डर मत, मंज़िल पास है, बस हौसला रखो।” भक्तों की तरह, यहाँ भी मन में ठान लेने की बात उस दृढ़ संकल्प को दिखाती है, जो लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी है।
भूखे महाजनों और उनके सितम का उल्लेख उस शोषण को उजागर करता है, जो समाज के कमजोर वर्गों को दबाता है। इन्हें “देश के दुश्मन” कहकर गीत क्रांति की भावना को और बल देता है, जैसे कोई अपने लोगों को अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए ललकार रहा हो। यह गीत मजदूरों और किसानों को उनकी ताकत याद दिलाता है, और उन्हें एकजुट होकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।