यह जो देस है तेरा स्वदेस है तेरा
यह जो देस है तेरा स्वदेस है तेरा
यह जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा ,तुझे है पुकारा ,यह वो बंधन है जो ,
कभी टूट नहीं सकता ....
मिट्टी की है जो खुश्बू, तू कैसे भूलाएगा ,
तू चाहे कही जाए, लौट के आएगा ,
नयी नयी राहों में, दबी दबी आहों में,
खोये खोये दिल से तेरे , कोई यह कहेगा ,
यह जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा ,
तुझे है पुकारा , यह वो बंधन है जो ,
कभी टूट नहीं सकता ....
तुझसे जिंदगी यह कह रही,
सब तो पा लिया अब है क्या कमी ,
यूंह तो सारे सुख है बरसे,
पर दूर तू है अपने घर से ,
आ लौट चल अब तू दीवाने,
जहाँ कोई तो तुझे अपना माने ,
आवाज़ दे तुझे बुलाये वही देस,
यह जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा
तुझे है पुकारा ,यह वो बंधन है जो
कभी टूट नहीं सकता .............
यह पल है वही , जिसमें है छुपी ,
कोई एक शादी, सारी जिंदगी ,
तू न पूछ रास्ते में काहे, आयें हैं इस तरह दो राहे ,
तू ही तो है अब तो जो यह बताये ,
चाहे तो किस दिशा में जाए वो देस,
यह जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा
तुझे है पुकारा ,यह वो बंधन है जो
कभी टूट नहीं सकता ............
A. R. Rahman, "Yeh Jo Des Hai Tera" (Swades): Berklee Indian Ensemble and Berklee World Strings
गीत उस पुकार को जीवंत करता है, जो हर उस व्यक्ति के मन में गूँजती है, जो अपनी जड़ों से दूर है, फिर भी स्वदेश की मिट्टी की सौंधी खुशबू उसे बार-बार वापस बुलाती है। यह ऐसा है, जैसे कोई अपनी माँ की गोद में लौटने की तड़प महसूस करता हो।
मिट्टी की खुशबू का जिक्र उस गहरे लगाव को दर्शाता है, जो व्यक्ति को अपनी मातृभूमि से जोड़े रखता है, चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में हो। “तू चाहे कहीं जाए, लौट के आएगा” की पंक्ति उस सत्य को उजागर करती है, जैसे कोई अपने घर की याद में हर नई राह पर भी खोया रहता हो।
जिंदगी के सारे सुख पाने के बाद भी घर की कमी का अहसास उस शून्य को प्रकट करता है, जो केवल स्वदेश में ही भर सकता है। “आ लौट चल अब तू दीवाने” की पुकार उस आत्मीय बुलावे को दर्शाती है, जैसे कोई अपने प्रिय को वापस बुलाकर कहे, “यहाँ तेरा अपना इंतज़ार कर रहा है।”
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