सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है ।
करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है ।
यों खड़ा मक़्तल में कातिल कह रहा है बार-बार
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है ।
ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है ।
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।
खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ऐ-कातिल में है ।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है ।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
When the time comes, we'll show you, O sky,
क्या बताएँ हम जुनून-ए-शौक़ किस मंज़िल में है
What can I tell you now of what is in my heart?
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
The desire for revolution is in our hearts.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
Let's see how much strength the enemy has.
इस
कविता को राम प्रसाद बिस्मिल ने लोकप्रिय बनाया। राम प्रसाद बिस्मिल एक
प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, कवि और लेखक थे, जिन्होंने 'बिस्मिल'
उपनाम से कई रचनाएँ कीं। उन्होंने इस कविता का उपयोग स्वतंत्रता संग्राम के
दौरान युवाओं को प्रेरित करने के लिए किया। काकोरी कांड के बाद, जब उन्हें
फांसी की सजा सुनाई गई, तब उन्होंने इस कविता की पंक्तियों को अपने अंतिम
समय में भी दोहराया, जिससे यह और भी प्रसिद्ध हो गई।
'सरफ़रोशी की तमन्ना' कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनी रही। इस कविता ने युवाओं में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित किया और उन्हें स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए प्रेरित किया। आज भी यह कविता देशभक्ति के कार्यक्रमों में गाई जाती है और लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करती है।
यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ के रूप में देखी जाती है। यह कविता आज भी भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्हें "शहीद-ए-आज़म" के नाम से भी जाना जाता है।
उन्हें भारत सरकार ने 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया। उनकी कविताओं का संग्रह "सरफरोशी की तमन्ना" के नाम से प्रकाशित हुआ है।
'सरफ़रोशी की तमन्ना' कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनी रही। इस कविता ने युवाओं में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित किया और उन्हें स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए प्रेरित किया। आज भी यह कविता देशभक्ति के कार्यक्रमों में गाई जाती है और लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करती है।
यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ के रूप में देखी जाती है। यह कविता आज भी भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्हें "शहीद-ए-आज़म" के नाम से भी जाना जाता है।
उन्हें भारत सरकार ने 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया। उनकी कविताओं का संग्रह "सरफरोशी की तमन्ना" के नाम से प्रकाशित हुआ है।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है कविता के रचयिता बिस्मिल अज़ीमाबादी थे। वे एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, कवि, और लेखक थे। वे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य थे, जिसने 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में लाला लाजपत राय की हत्या की थी। बिस्मिल अज़ीमाबादी का जन्म 1901 को बिहार के पटना शहर में हुआ था। उनका असली नाम मुहम्मद असलम था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना में ही प्राप्त की। बाद में, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बिस्मिल अज़ीमाबादी बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम में रुचि रखते थे। उन्होंने 1916 में HSRA की सदस्यता ली। HSRA का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करना था।
'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है' यह प्रसिद्ध उर्दू देशभक्ति कविता मूलतः बिस्मिल अज़ीमाबादी ने 1921 में लिखी थी। बिस्मिल अज़ीमाबादी का जन्म 1901 में पटना, बिहार में हुआ था। वह एक प्रमुख उर्दू कवि थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी कविताओं के माध्यम से युवाओं में देशभक्ति की भावना जागृत की। उनकी यह कविता ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्षरत क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी।
'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है' यह प्रसिद्ध उर्दू देशभक्ति कविता मूलतः बिस्मिल अज़ीमाबादी ने 1921 में लिखी थी। बिस्मिल अज़ीमाबादी का जन्म 1901 में पटना, बिहार में हुआ था। वह एक प्रमुख उर्दू कवि थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी कविताओं के माध्यम से युवाओं में देशभक्ति की भावना जागृत की। उनकी यह कविता ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्षरत क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी।
“सरफ़रोशी की तमन्ना” कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक अमर रचना है, जो बिस्मिल अज़ीमाबादी की लेखनी से निकली और राम प्रसाद बिस्मिल के माध्यम से क्रांतिकारियों के दिलों में बस गई। यह कविता देशभक्ति और बलिदान की भावना को इस तरह जागृत करती है, जैसे कोई नौजवान अपने देश के लिए जान की बाजी लगाने को तैयार हो। कविता की हर पंक्ति में वह जोश और जुनून है, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ बगावत की आग को और भड़काता था।
“देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है” का भाव उस निडरता को दर्शाता है, जैसे कोई योद्धा अपने दुश्मन को चुनौती देता हो, यह जानते हुए कि उसका हौसला कातिल की ताकत से कहीं बड़ा है। “वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ” में वह आत्मविश्वास झलकता है, जैसे कोई अपने मन के जज़्बे को तब तक छुपाए रखता है, जब तक वह उसे दुनिया के सामने लाकर हिला न दे।
कविता में शहादत की तमन्ना और कातिल के सामने डटकर खड़े होने का जिक्र उस बलिदान की भावना को उजागर करता है, जो क्रांतिकारी अपने देश के लिए रखते थे। यह ऐसा है, जैसे कोई अपने प्रिय मातृभूमि के लिए सब कुछ छोड़कर मक़्तल में हँसते-हँसते चला जाए। बिस्मिल अज़ीमाबादी और राम प्रसाद बिस्मिल का इस कविता को जीवंत करना उस दौर की क्रांति की गूँज को आज भी जीवित रखता है, जैसे कोई पुरानी कहानी हर सुनने वाले के दिल में नई आग जला दे।
राम प्रसाद बिस्मिल का काकोरी कांड और फाँसी के समय इस कविता को दोहराना उसकी ताकत को और बढ़ाता है। यह कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जो हर देशभक्त के मन में जोश भर देती है, जैसे कोई सैनिक अपने देश की रक्षा के लिए फिर से उठ खड़ा हो। यह न केवल एक कविता है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम का एक जीवंत दस्तावेज़ है, जो हमें उन शहीदों की कुर्बानी को याद दिलाता है।
“देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है” का भाव उस निडरता को दर्शाता है, जैसे कोई योद्धा अपने दुश्मन को चुनौती देता हो, यह जानते हुए कि उसका हौसला कातिल की ताकत से कहीं बड़ा है। “वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ” में वह आत्मविश्वास झलकता है, जैसे कोई अपने मन के जज़्बे को तब तक छुपाए रखता है, जब तक वह उसे दुनिया के सामने लाकर हिला न दे।
कविता में शहादत की तमन्ना और कातिल के सामने डटकर खड़े होने का जिक्र उस बलिदान की भावना को उजागर करता है, जो क्रांतिकारी अपने देश के लिए रखते थे। यह ऐसा है, जैसे कोई अपने प्रिय मातृभूमि के लिए सब कुछ छोड़कर मक़्तल में हँसते-हँसते चला जाए। बिस्मिल अज़ीमाबादी और राम प्रसाद बिस्मिल का इस कविता को जीवंत करना उस दौर की क्रांति की गूँज को आज भी जीवित रखता है, जैसे कोई पुरानी कहानी हर सुनने वाले के दिल में नई आग जला दे।
राम प्रसाद बिस्मिल का काकोरी कांड और फाँसी के समय इस कविता को दोहराना उसकी ताकत को और बढ़ाता है। यह कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जो हर देशभक्त के मन में जोश भर देती है, जैसे कोई सैनिक अपने देश की रक्षा के लिए फिर से उठ खड़ा हो। यह न केवल एक कविता है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम का एक जीवंत दस्तावेज़ है, जो हमें उन शहीदों की कुर्बानी को याद दिलाता है।
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