सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है लिरिक्स Sarfaroshi Ki Tamanna Lyrics

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है लिरिक्स Sarfaroshi Ki Tamanna Lyrics, Patriotic Song Lyrics hindi

Latest Bhajan Lyrics

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है ।

करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है ।

यों खड़ा मक़्तल में कातिल कह रहा है बार-बार
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है ।

ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है ।

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।

खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ऐ-कातिल में है ।

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है ।


सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है कविता के रचयिता बिस्मिल अज़ीमाबादी थे। वे एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, कवि, और लेखक थे। वे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य थे, जिसने 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में लाला लाजपत राय की हत्या की थी। बिस्मिल अज़ीमाबादी का जन्म 11 जून 1897 को बिहार के पटना शहर में हुआ था। उनका असली नाम मुहम्मद असलम था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना में ही प्राप्त की। बाद में, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बिस्मिल अज़ीमाबादी बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम में रुचि रखते थे। उन्होंने 1916 में HSRA की सदस्यता ली। HSRA का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करना था।

बिस्मिल अज़ीमाबादी ने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने 1921 में अंग्रेजों के खिलाफ एक सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया। इस विद्रोह को असफल कर दिया गया, लेकिन बिस्मिल अज़ीमाबादी को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, और 1927 में उन्हें फांसी दे दी गई। सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है कविता बिस्मिल अज़ीमाबादी की सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक है। यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की भावनाओं को व्यक्त करती है। कविता में, बिस्मिल अज़ीमाबादी कहते हैं कि भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के दिलों में देश के लिए मरने की तीव्र इच्छा है। वे अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार हैं ताकि भारत को स्वतंत्रता मिल सके।

यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ के रूप में देखी जाती है। यह कविता आज भी भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
  • उन्हें "शहीद-ए-आज़म" के नाम से भी जाना जाता है।
  • उन्हें भारत सरकार ने 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया।
  • उनकी कविताओं का संग्रह "सरफरोशी की तमन्ना" के नाम से प्रकाशित हुआ है।

यह भी देखें You May Also Like

Next Post Previous Post