बाबो म्हाने भोलाय गयो पूजा गांव गयो दूजा

बाबो म्हाने भोलाय गयो पूजा गांव गयो दूजा

बाबो म्हाने भोलाय गयो पूजा, गांव गयो दूजा
जीमो जी कांइ आंट जी
करमा म्हारो नाम, योहिछे म्हारो गांव
मैं बेटी जाट की
उठ सी में स्नान मैंने कीनो, खोल मिन्दर गुहारो दिनो - 2
ल्याई धोलकी गाय को दूध, उठोजी थेतो मुंडो धोयकर पीलो -2
जीमो जीमो खिचड़ो आज, घी की तो कांई बात
कड्डी तो घालूं छाछ की
करमा म्हारो नाम, योहिछे म्हारो गांव
मैं बेटी जाट की
काल थारे तांई सीरो बनाऊँ, पानी मिठोड़े कुएं रो लाऊँ - 2
मूंगा री दाल जम घी की नाल, थाने छोटा छोटा फलका जिमाुऊँ -2
प्रभु भावे सोही ले लीजो, सरम मत कीजो
कमी ना कोई बात की
करमा म्हारो नाम, योहिछे म्हारो गांव
मैं बेटी जाट की
और कांई थारा हुकम बजाऊं, थे जिम लियो तो मैं भी रोटी खाऊं - 2
धाबलियो रो पर्दो लगाऊं जी, मैं तो पुठ फेर बैठ जाऊं - 2
प्रभु रुच रुच भोग लगावे, देखती जावे सूरतीया श्याम की
करमा म्हारो नाम, योहिछे म्हारो गांव
मैं बेटी जाट की
प्रभु और थारे तांई कांई लाऊँ, थे जीम लियतो मैं भी चरू कराऊं -2
काल जिमनने बेगा आईजो जी, थाने डोबा की राबड़ी जिमाऊं -2
करमा बोले आज मैं जाऊं काल बेगी आऊ ,
बात बड़ी प्रेम की
करमा म्हारो नाम, योहिछे म्हारो गांव
मैं बेटी जाट की
बाबो म्हाने भोलाय गयो पूजा, गांव गयो दूजा
जीमों जी कांई आंट जी
करमा म्हारो नाम, योहिछे म्हारो गांव
मैं बेटी जाट की


Baabo Mhaane Bholaay Gayo Pooja, Gaanv Gayo Dooja
Jeemo Jee Kaani Aant Jee
Karama Mhaaro Naam, Yohichhe Mhaaro Gaanv
 
सुंदर भजन में एक जाट की बेटी करमा की सादगी और श्रीकृष्णजी के प्रति उसकी गहरी भक्ति का भाव उभरता है। यह ऐसा है, जैसे कोई गाँव की बेटी अपने प्रिय श्याम को पूरे मन से अपने घर बुलाकर उनकी सेवा कर रही हो। करमा का खुद को योहिछे गाँव की जाट की बेटी कहना उसकी निश्छलता और गर्व को दर्शाता है, जैसे कोई अपनी जड़ों को प्यार से अपनाता हो।

स्नान कर मंदिर खोलना, धूप-दीप जलाना, और गाय का दूध लाना उसकी भक्ति की सादगी को दिखाता है। खिचड़ी और छाछ का भोग लगाना, घी की मिठास का जिक्र, उस प्रेम को प्रकट करता है, जो वह श्रीकृष्णजी के लिए अपने रोजमर्रा के जीवन से जोड़ती है, जैसे कोई अपने घर की साधारण चीजों को प्यार से भेंट करता हो।
 
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