तेरी गोद में गोकुल है, बाहों में बरसना, मेरा दिल तो यही चाहे, खाटू में बस जाना।
हरिद्वार सा द्वार तेरा, आंगन में अयोध्या है, परिसर है प्राग तेरा, तो प्राग भला क्या है, काशी सा है कक्ष तेरा, मंडप मथुरा माना, मेरा दिल तो यही चाहे, खाटू में बस जाना।
मैंने दुनिया की दौलत, तेरे द्वार से पाई है, चारो धमो की छटा, खाटू में समाई है, अब पाके दरस तेरा, जग से हुआ बेगाना, मेरा दिल तो यही चाहे, खाटू में बस जाना।
मैं द्वार पड़ा आके मुझे, उठा लो श्याम, मैं हार गया जग से, मुझे गले लगा लो श्याम, कौशिक को दो बाबा, चरणों में आशियाना, मेरा दिल तो यही चाहे, खाटू में बस जाना।