बस तेरी आस है मन में विश्वाश भजन
बस तेरी आस है मन में विश्वाश है भजन
बस तेरी आस है मन में विश्वाश है,ये बुरा वक़्त मेरा गुज़र जाएगा,
श्याम तू जो मिला हो गया सिलसिला,
मेरा दामन तो खुशियों से भर जाएगा,
बस तेरी आस है मन में विश्वाश है।
दूर चौकठ से था मैं गुनहगार हूँ,
अब तेरी रहमतो का तलबग़ार हूँ,
मैं तेरे पास हु तू मेरे पास है,
मेरे जीवन का हर पल स्वर जाएगा,
बस तेरी आस है मन में विश्वाश है।
जो तेरे आसरे वो तेरा ख़ास है,
मुझ पे करदो किरपा मेरी अरदास है,
तुझको बोलू यही ना मैं डोलू कहीं,
जो तू रूठा ये दीवाना मर जाएगा,
बस तेरी आस है मन में विश्वाश है।
तेरी नजरे कर्म हो गई साँवरे,
रहता हम सब के लब पे तेरा नाम साँवरे,
तू अगर साथ है सिर पे हाथ है,
वक़्त चोखानी का भी सुधर जाएगा,
बस तेरी आस है मन में विश्वाश है।
बस तेरी आस है मन में विश्वाश है
सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति अटूट विश्वास और उनकी कृपा पर पूर्ण भरोसे का हृदयस्पर्शी चित्रण है। भक्त का मन केवल श्याम की आस से भरा है, जो उसे बुरे वक्त में भी आशा देता है। यह विश्वास कि श्याम के मिलन से जीवन खुशियों से भर जाएगा, उसकी भक्ति की गहराई को दर्शाता है। जैसे एक पथिक तूफान में भी तारे को देखकर राह पाता है, वैसे ही श्याम का स्मरण भक्त को हर संकट से उबारता है। यह उद्गार सिखाता है कि सच्चा विश्वास जीवन की हर कठिनाई को हल्का कर देता है।
भक्त स्वयं को गुनहगार मानते हुए भी श्याम की रहमत का तलबगार है, जो उनकी निकटता में सांत्वना पाता है। श्याम का साथ उसे विशेष बनाता है, और उनकी कृपा की अरदास उसका एकमात्र सहारा है। खाटू के सांवरे का नाम हर लब पर है, और उनका हाथ सिर पर होने से हर बुरा वक्त सुधर जाता है। जैसे एक माता अपने बच्चे की पुकार सुनकर दौड़ती है, वैसे ही श्याम भक्त की विनती सुनकर उसका जीवन संवारते हैं। यह भाव प्रदर्शित करता है कि भक्ति और प्रेम से भरा हृदय कभी निराश नहीं होता, और प्रभु का साथ जीवन को सार्थक बनाता है।
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