माँगना हो तो माँगो इस दरबार भजन

माँगना हो तो माँगो इस दरबार से भजन

माँगना हो तो माँगो इस दरबार से, श्याम सरकार से,
दुनियाँ में दानी कोई दूसरा नहीं है।

जो शीश दान दे दे वो हमको क्या नहीं दे सकता,
इस के रहते प्यारे फ़िक्र किस बात की तू करता,
निकालेगा तेरी नैयाँ बीच मझधार से,
दुनियाँ में दानी कोई दूसरा नहीं है।

तीनों लोक के स्वामी ने दिया है इसको ये वरदान,
कलयुग में होगी पूजा नाम तेरा होगा बाबा श्याम,
साथी बनेगा उसका आएगा जो हार के,
दुनियाँ में दानी कोई दूसरा नहीं है।

कहता है श्याम यूँ ही ना भटको दुनिया में दर दर,
कोई झोली नहीं ऐसा जो भरती ना हो श्याम के दर,
पिगलता है श्याम मेरा अंसियो की धार से,
दुनियाँ में दानी कोई दूसरा नहीं है। 


माँगना हो तो माँगो इस दरबार से

सुन्दर भजन में बाबा श्याम की असीम दयालुता और उनकी कृपा का भाव दर्शाया गया है। यह अनुभूति प्रकट करती है कि संसार में कोई और इतना दानी नहीं जो अपने भक्तों की हर पुकार सुनकर संकट को हरता है। उनकी कृपा से जीवन की नैया हर कठिन परिस्थिति में पार हो जाती है।

श्याम का नाम मात्र लेने से भक्त की चिंताएँ समाप्त हो जाती हैं। उनका दरबार वह स्थान है, जहाँ खाली झोलियाँ भर जाती हैं और हर पीड़ित मन को सांत्वना मिलती है। यह भक्ति प्रेम और समर्पण का वह भाव है, जो जीवन में आस्था को प्रगाढ़ बना देता है।

जिसने भी सच्चे हृदय से बाबा की शरण ली, उसका भाग्य संवर गया। भक्त की पुकार सुनकर बाबा दौड़कर आते हैं, उनकी कृपा से हर दुख दूर हो जाता है। यह विश्वास मन को निर्भय करता है कि बाबा हर परिस्थिति में साथ देते हैं और भक्त को कभी खाली नहीं लौटने देते।

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