मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू

मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू

मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू
ना जाने के भेद है, सारो चुनरी को खेल है,
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू

छोटी  हो या काम कोई गंभीर, 
चुनरी बदले भागतान की तकदीर,
हो..हो.. छोटी हो या काम कोई गंभीर, 
चुनरी बदले भागतान की तकदीर,
या जान ले तू मान ले, या जान ले तू मान ले
चुनरी संग मा को मेल है, सारो चुनरी को खेल है,
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू

और भले कुच्छ भी ना हो सिंगार, 
चुनरी बिन फीको लागे दरबार,
हो..हो.. और भले कुच्छ भी ना हो सिंगार, 
चुनरी बिन फीको लागे दरबार,
मातें सजे पहले दिखे, मातें सजे पहले दिखे
आइसो चुनरी में तेज़ है, सारो चुनरी को खेल है,
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू

बचपन से ही देखतो मैं आयो, 
हारे घर पे चुनरी को सायो,
हो..हो.. बचपन से ही देखतो मैं आयो, 
म्हारे घर पे चुनरी को सायो,
बोले पवन जन्मो-जानम, बोले पवन जन्मो-जानम
बदलें किस्मत की रेख है, सारो चुनरी को खेल है,
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू
ना जाने के भेद है, सारो चुनरी को खेल है,
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू

ना जाने के भेद है, सारो चुनरी को खेल है,
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू
मैया थारी चुनरी में है जादू है जादू… मा है जादू

जानिये रानी शक्ति के बारे में :
राजस्थान के सीकर जिले से लगभग ८० किलोमीटर दूर झुंझुनू में रानी सती का मंदिर है जो लगभग ४०० वर्ष पुराना है। श्रद्धालुओं के लिए यह एक प्रमुख आस्था का केंद्र है। पुरे राजस्थान से श्रद्धालु शनिवार और रविवार को मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। भाद्रपक्ष की अमावश्या में आयोजित होने वाले धार्मिक अनुष्ठान का बहुत ही मतत्व है। इसके लिये दूर दूर से लोग आगे हैं। रानी सती का एक मुख्य मंदिर और १२ अन्य छोटे मंदिर यहाँ स्थापित है। यूँ तो पुरे मंदिर में कई देवी देवताओं की मूर्तियां लगी हुयी हैं जैसे शिव जी हनुमान जी आदि लेकिन मंदिर में प्रमुख आकर्षण का केंद्र षोडश माता की मूर्ति है जिसमें १६ देविओं की मूर्ति लगी स्थापित है। लोगों की दृढ मान्यता है की रानी सतीजी ने अपने पति के हत्यारे को समाप्त कर अपना बदला लिया जो की स्त्री शक्ति का प्रतीक है इसलिए सती को दुर्गा माता का अवतार भी कहा जाता है। 
 
सुन्दर भजन में माँ की दिव्य शक्ति और उनकी कृपा का गहन अनुभव प्रकट होता है। माँ की चुनरी केवल वस्त्र नहीं, बल्कि उनकी ममता, आशीर्वाद और भक्तों के जीवन में सुख-शांति का प्रतीक है। जब माँ की चुनरी भक्त के सिर पर आती है, तब उसकी तकदीर बदल जाती है, और वह हर संकट से मुक्त होकर नया जीवन प्राप्त करता है।

यह भक्ति और श्रद्धा का अटूट स्वरूप दर्शाता है, जहाँ माँ की उपस्थिति स्वयं जगत के सुख-दुःख को नियंत्रित करती है। जब माँ के आशीर्वाद में हर कार्य संपन्न होता है, तब भक्त के जीवन में कोई बाधा नहीं रहती। माँ के दरबार में सच्चे प्रेम और विश्वास के साथ प्रवेश करने वाला व्यक्ति हर कठिनाई को पार कर जाता है।

रानी सती मंदिर का उल्लेख भक्तों की आस्था को और भी दृढ़ करता है। यह स्थान शक्ति और समर्पण का प्रतीक है, जहाँ श्रद्धालु माँ के चरणों में अपने मन और आत्मा को समर्पित करते हैं। माँ की कृपा से हर बाधा दूर होती है, और भक्तों को जीवन में नई ऊर्जा प्राप्त होती है।

यह भजन माँ के प्रति अटूट श्रद्धा, भक्ति और प्रेम को उजागर करता है। जब मनुष्य माँ की शक्ति को स्वीकार करता है, तब वह अपने हर संघर्ष को पार कर जाता है, और उसे वास्तविक आनंद एवं शांति की प्राप्ति होती है। माँ का आशीर्वाद जीवन को सफल और समृद्ध बनाता है।

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