चरण चाकरी दे दो भजन
चरण चाकरी दे दो भजन
चरण चाकरी देदो म्हणे चरण चाकरी देदो,चरना में पड़ो रहशु म्हणे इक ठिकाना देदो,
थारे बिना म्हारो कौन है बाबा यु तो जी ही जानो,
छोटी सी अर्जी बाबा म्हारो प्रेम पछानो,
म्हारी युनि सफल बना दो म्हणे,
चरण चाकरी देदो ...........
थाने जद जद याद करा मैं हिवड़ो भर भर आवे,
हिवड़ो जद भर आवे माहरी अखियां नीर बहावे,
मारे नैना माहि बस जो म्हणे चरण चाकरी देदो,
चरण चाकरी देदो म्हणे चरण चाकरी देदो,
म्हाने चाकर बना के बाबा बनजो मालिक माहरा,
रात दिना थी करा चाकरी बन जाए जीवन म्हारा,
चंदा में शरण में लेजियो,म्हणे चरण चाकरी देदो,
चरण चाकरी देदो म्हणे चरण चाकरी देदो,
सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी के चरणों में चाकरी की तीव्र लालसा और उनके प्रति पूर्ण समर्पण का हृदयस्पर्शी चित्रण है। भक्त अपनी छोटी-सी अर्जी में केवल श्याम बाबा के चरणों में स्थान माँगता है, जहाँ वह सदा उनके प्रेम में लीन रहे। वह उन्हें अपना एकमात्र सहारा मानता है, जिनके बिना जीवन अधूरा है। जैसे एक दीपक ज्योति के बिना नहीं जलता, वैसे ही भक्त का हृदय श्याम की चाकरी के बिना अधूरा है। यह उद्गार सिखाता है कि सच्ची भक्ति प्रभु के चरणों में नम्रता और प्रेम से सेवा करने में है।
जब-जब भक्त श्याम को याद करता है, उसका हृदय भर आता है और आँखों से प्रेमाश्रु बहते हैं। वह बाबा को अपने नैनों में बसाकर उनकी चाकरी की याचना करता है। वह स्वयं को चाकर और श्याम को मालिक मानकर रात-दिन उनकी सेवा में जीवन सार्थक करना चाहता है। जैसे एक नदी समुद्र की शरण में जाकर पूर्ण होती है, वैसे ही भक्त श्याम की शरण में चाकरी पाकर जीवन को धन्य मानता है। यह भाव दर्शाता है कि प्रभु का प्रेम और उनकी सेवा ही भक्त के लिए सबसे बड़ा धन है, जो हृदय को शांति और आनंद से भर देता है।
जब-जब भक्त श्याम को याद करता है, उसका हृदय भर आता है और आँखों से प्रेमाश्रु बहते हैं। वह बाबा को अपने नैनों में बसाकर उनकी चाकरी की याचना करता है। वह स्वयं को चाकर और श्याम को मालिक मानकर रात-दिन उनकी सेवा में जीवन सार्थक करना चाहता है। जैसे एक नदी समुद्र की शरण में जाकर पूर्ण होती है, वैसे ही भक्त श्याम की शरण में चाकरी पाकर जीवन को धन्य मानता है। यह भाव दर्शाता है कि प्रभु का प्रेम और उनकी सेवा ही भक्त के लिए सबसे बड़ा धन है, जो हृदय को शांति और आनंद से भर देता है।
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