श्याम को अलबेलो दरबार भजन
श्याम को अलबेलो दरबार भजन
श्याम को अलबेलो दरबार,खाटू को अलबेलो दरबार,
यहाँ बिराजे शीश को दानी
कलयुग को अवतार,
श्याम का अलबेला दरबार
खाटू का मंदिर है निराला,
वहाँ पे रहता डमरू वाला,
ड्योढ़ी पे हनुमान खड़े है
परमानेंट सरकार,
श्याम का अलबेला दरबार......
सुबह श्याम वहाँ होती आरती
की वहाँ भीड़ लागती,
मंदिर आगे कीर्तन होता
गूंजे जय जय कार,
श्याम का अलबेला दरबार.....
सुनील शर्मा दिंगाड़ियाँ कहता
खाली झोली संवारा भरता,
शेखावत दिनेश बोले भर देता ये भण्डार,
श्याम का अलबेला दरबार.....
सुन्दर भजन में खाटू के श्रीकृष्णजी, शीश के दानी और कलयुग के अवतार के अलबेले दरबार की महिमा का उत्साहपूर्ण चित्रण है। खाटू का मंदिर एक अनूठा तीर्थ है, जहाँ डमरू वाले बाबा विराजते हैं और हनुमानजी द्वार पर स्थायी पहरेदार की तरह खड़े हैं। यह दरबार भक्ति का ऐसा केंद्र है, जहाँ हर भक्त का मन प्रेम और श्रद्धा से झूम उठता है। जैसे चंदन की सुगंध हर ओर फैलती है, वैसे ही श्याम का दरबार हृदय को आनंद से भर देता है। यह उद्गार सिखाता है कि प्रभु का दर वह पावन स्थल है, जहाँ सारी चिंताएँ मिट जाती हैं।
सुबह की आरती में भक्तों का समूह उमड़ता है, और मंदिर के समक्ष कीर्तन की जय-जयकार से वातावरण गूंज उठता है। यह दृश्य भक्ति के उत्सव को जीवंत करता है। सुनील शर्मा और शेखावत दिनेश जैसे भक्त गाते हैं कि श्याम खाली झोली को अपने भंडार से भर देते हैं। जैसे वर्षा सूखी धरती को हरा करती है, वैसे ही श्रीकृष्णजी की कृपा हर भक्त के जीवन को सुख और समृद्धि से परिपूर्ण करती है। यह भाव दर्शाता है कि श्याम का अलबेला दरबार विश्वास और प्रेम का वह ठिकाना है, जहाँ हर मनोकामना पूरी होती है।
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