दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे लिरिक्स Dukh Chinta Sankat Kate Lyrics

दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे लिरिक्स Dukh Chinta Sankat Kate Lyrics


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मोरछड़ी की महिमा देखो सब से न्यारी रे,
दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे,

युगो युगो से श्याम धनि के संग में ये तो रहती है,
श्याम धनि की किरपा तो इस के जरहिये ही बहती है,
मुर्दे में भी प्राण फुक्दे ये बड़ी बलकारी रे,
दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे,

श्याम बहादुर के हिट मंदिर पट इस ने खोल दिये,
बड़े बड़े तालो को इसने झट माटी में रोल दिये,
गूंजे फिर जैकारे नाम के आये श्याम बिहारी रे,
दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे,

आलू सिंह जी के खाता में यह लहराई थी बहुत घनी,
लाखो भक्तो के विपदा में थी जिनके भी आशीष धरी,
चमत्कार में नमस्कार है जाने दुनिया सारी रे,
दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे,

श्याम धनी को प्यारी भगता हिट कारी मोर छड़ी,
विपला की विनती है माहरे सागे रहियो सदा खड़ी,
वरणी ना जावे महिमा थी जाऊ बलिहारी रे,
दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे,


यह भजन खाटू श्याम जी की मोरछड़ी की महिमा का वर्णन करता है। भक्त कहता है कि मोरछड़ी एक बहुत ही शक्तिशाली वस्तु है जो दुख, चिंता और संकटों को दूर करती है। यह भजन खाटू श्याम जी की मोरछड़ी के प्रति भक्त की गहरी श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है। भक्त कहता है कि वह मोरछड़ी को अपना आराध्य मानता है और उसे विश्वास है कि मोरछड़ी उसे हर संकट से बचाएगी।
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