मन उलझन मे फंस जाये तो खाटू चलो भजन

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मन उलझन मे फंस जाये तो खाटू चलो भजन

मन उलझन मे फंस जाये तो खाटू चलो,
संकट से जी घबराए तो खाटू चलो,
जग का पालनहार वही है,
सब का लखदातार वही है,
कोई बात समझ न आये तो खाटू चलो,
मन उलझन मे फँस जाये तो खाटू चलो.
इस दुनिया में कोई किसी के साथ
में चलता नहीं पर चलना चाहिये,
अहम् में दम्भ के कोई किसी के आगे
झुकता नहीं पर झुकना चाहिये,
पल दो पल का सारा जीवन
आपस में काहे की,
उलझन कर बुद्धि ये भरमाए,
मन उलझन मे फँस जाये तो खाटू चलो.

अपने अपने कर्मो का फल,
सब को मिलता यहाँ ये सारे जान लो,
उसके आगे किसी की भी,
सत्ता नहीं चलती यहाँ ये सारे मान लो,
हर बंदे पर उसकी नजर है,
वो सब के मन के अंदर है,
फिर भी मन बाज ना आये तो खाटू चलो,
मन उलझन मे फँस जाये तो खाटू चलो.

छोड़ के सारे गोरख धंधे,
जप ले श्याम का नाम वो भला करेंगे,
तेरी हर मुश्किल में तेरे साथ में,
खाटू श्याम सदा चलेंगे,
शर्मा मान ले इतना कहना,
बाद में मत केशव से कहना,
मन उलझन मे फँस जाये तो खाटू चलो.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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