दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी भजन
दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे भजन
मोरछड़ी की महिमा देखो सब से न्यारी रे,दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे,
युगो युगो से श्याम धनि के संग में ये तो रहती है,
श्याम धनि की किरपा तो इस के जरहिये ही बहती है,
मुर्दे में भी प्राण फुक्दे ये बड़ी बलकारी रे,
दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे,
श्याम बहादुर के हिट मंदिर पट इस ने खोल दिये,
बड़े बड़े तालो को इसने झट माटी में रोल दिये,
गूंजे फिर जैकारे नाम के आये श्याम बिहारी रे,
दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे,
आलू सिंह जी के खाता में यह लहराई थी बहुत घनी,
लाखो भक्तो के विपदा में थी जिनके भी आशीष धरी,
चमत्कार में नमस्कार है जाने दुनिया सारी रे,
दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे,
श्याम धनी को प्यारी भगता हिट कारी मोर छड़ी,
विपला की विनती है माहरे सागे रहियो सदा खड़ी,
वरणी ना जावे महिमा थी जाऊ बलिहारी रे,
मोर पंख "मोरछड़ी" का क्या रिश्ता है श्री कृष्णा से : भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर मोर पंख अवश्य मिलता है मोर पंख और मोर से भगवान श्री कृष्ण का रिश्ता बहुत ही पुराना है भगवान श्री कृष्ण का प्रेम इसी से दिखता है टीवी मोर पंख को अपने माथे पर सजाते हैं भगवान श्री कृष्ण सदैव ही मुरली बजा कर गोपियों को नाचने के लिए मजबूर कर देते थे उनकी मुरली की मधुर तान पर गोपियां बेपरवाह होकर नाचने लग जाते थे ऐसा कहते हैं कि एक बार जब कृष्ण ने अपनी मुरली से मधुर तान निकाली दूसरी राथी मंत्रमुग्ध होकर नाचने लगी उन्हें मंत्रमुग्ध होकर नाचते देख वहां मोर भी आ गए और वह भी नाचने लगी कभी किसी मोर का पंख नीचे गिर गया तभी श्री कृष्ण ने उसे तुरंत उठाकर अपने माथे पर सजा लिया जब राधा ने इसका कारण पूछा तो कृष्ण ने बड़े ही भोलेपन से जवाब दिया कि मोर के नाचने पर उन्हें ऐसा प्रतीत होता है की साक्षात श्री राधे जी ही नाच रही हो. उनके माथे पर मोर पंख देखकर माता यशोदा भी उन्हें मोर पंख से सजाने लगी. यही कारण है कि मोर को एक पवित्र पक्षी माना जाता है और लोग पूजा घर में स्थान देते हैं. जय श्री राधे जय श्री कृष्ण श्री बांके बिहारी की जय श्री खाटू वाले श्याम की जय श्री राधे जय श्री कृष्ण
सुन्दर भजन “दुःख चिंता संकट काटे भक्त का भारी रे” में खाटू श्याम जी की मोरछड़ी की अपार महिमा और श्रीकृष्ण के सांवरिया रूप की कृपा का हृदयस्पर्शी चित्रण है। मोरछड़ी, श्याम धणी की शक्ति का प्रतीक, भक्तों के दुख, चिंता और संकट को काटकर उन्हें सुख और शांति प्रदान करती है। यह युगों-युगों से श्याम बाबा के साथ रही है, और उनकी कृपा का प्रवाह इसी के माध्यम से बहता है। जैसे सूर्य की किरणें अंधेरे को चीरती हैं, वैसे ही मोरछड़ी की शक्ति मुर्दे में प्राण फूंकने और विपदाओं को दूर करने में सक्षम है। यह उद्गार सिखाता है कि श्याम बाबा की कृपा और उनकी मोरछड़ी पर विश्वास हर असंभव को संभव बना देता है।
भजन में बताया गया है कि श्याम बहादुर के मंदिर के पट मोरछड़ी ने खोले और बड़े-बड़े ताले इसके आगे मिट्टी में मिल गए, जो श्याम बिहारी के चमत्कारों को दर्शाता है। आलू सिंह जी के खाते में इसकी महिमा लहराई, और लाखों भक्तों की विपदाओं में इसने आशीष बरसाए। भक्त मोरछड़ी की महिमा को नमस्कार करता है और प्रार्थना करता है कि यह सदा उसके साथ रहे। जैसे चंदन की सुगंध हर दिशा को महकाती है, वैसे ही मोरछड़ी की महिमा दुनिया भर में गूंजती है, और श्याम धणी का प्रेम भक्तों के हृदय को आनंद से भर देता है। यह भाव दर्शाता है कि श्याम बाबा की कृपा और उनकी मोरछड़ी की शक्ति भक्तों के लिए अभेद्य रक्षा कवच और सुख का स्रोत है।
भजन में बताया गया है कि श्याम बहादुर के मंदिर के पट मोरछड़ी ने खोले और बड़े-बड़े ताले इसके आगे मिट्टी में मिल गए, जो श्याम बिहारी के चमत्कारों को दर्शाता है। आलू सिंह जी के खाते में इसकी महिमा लहराई, और लाखों भक्तों की विपदाओं में इसने आशीष बरसाए। भक्त मोरछड़ी की महिमा को नमस्कार करता है और प्रार्थना करता है कि यह सदा उसके साथ रहे। जैसे चंदन की सुगंध हर दिशा को महकाती है, वैसे ही मोरछड़ी की महिमा दुनिया भर में गूंजती है, और श्याम धणी का प्रेम भक्तों के हृदय को आनंद से भर देता है। यह भाव दर्शाता है कि श्याम बाबा की कृपा और उनकी मोरछड़ी की शक्ति भक्तों के लिए अभेद्य रक्षा कवच और सुख का स्रोत है।