मन उलझन मे फंस जाये तो खाटू चलो
मन उलझन मे फंस जाये तो खाटू चलो
मन उलझन मे फंस जाये तो खाटू चलो,संकट से जी घबराए तो खाटू चलो,
जग का पालनहार वही है,
सब का लखदातार वही है,
कोई बात समझ न आये तो खाटू चलो,
मन उलझन मे फँस जाये तो खाटू चलो.
इस दुनिया में कोई किसी के साथ
में चलता नहीं पर चलना चाहिये,
अहम् में दम्भ के कोई किसी के आगे
झुकता नहीं पर झुकना चाहिये,
पल दो पल का सारा जीवन
आपस में काहे की उलझन कर बुद्धि ये भरमाये,
मन उलझन मे फँस जाये तो खाटू चलो.
अपने अपने कर्मो का फल सब को मिलता यहाँ ये सारे जान लो,
उसके आगे किसी की भी सत्ता नहीं चलती याहा ये सारे मान लो,
हर बंदे पर उसकी नजर है वो सब के मन के अंदर है,
फिर भी मन बाज ना आये तो खाटू चलो,
मन उलझन मे फँस जाये तो खाटू चलो.
छोड़ के सारे गोरख धंधे जप ले श्याम का नाम वो भला करेंगे,
तेरी हर मुश्किल में तेरे साथ में खाटू श्याम सदा चलेंगे,
शर्मा मान ले इतना कहना बाद में मत केशव से कहना,
मन उलझन मे फँस जाये तो खाटू चलो.
सुन्दर भजन “मन उलझन में फँस जाये तो खाटू चलो” में खाटू श्याम जी के प्रति भक्त की गहरी श्रद्धा और उनके दर को हर उलझन का समाधान बताने का मार्मिक चित्रण है। जब मन संकटों से घबराए या उलझनों में फँसे, तब श्रीकृष्ण के सांवरिया रूप, खाटू श्याम, के दर पर जाने की सलाह दी गई है, जो जग का पालनहार और लखदातार हैं। यह भजन सिखाता है कि जब जीवन की राहें धुंधली हों, तब श्याम बाबा की शरण ही सच्चा आश्रय है, जैसे एक पथिक तूफान में एकमात्र दीपक की रोशनी की ओर बढ़ता है।
भजन में संसार की नश्वरता और अहंकार की व्यर्थता को उजागर किया गया है। दुनिया में कोई किसी के साथ पूरी तरह नहीं चलता, और दंभ में कोई नहीं झुकता, पर भक्त को विनम्रता और श्याम के प्रति समर्पण अपनाना चाहिए। कर्मों का फल सबको मिलता है, और श्याम की नजर हर मन पर है, फिर भी यदि मन भटके, तो खाटू का रास्ता अपनाने की प्रेरणा दी गई है। श्याम का नाम जपने से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और वे सदा भक्त के साथ चलते हैं। शर्मा और केशव जैसे भक्तों को यह संदेश है कि सांसारिक गोरखधंधों को छोड़कर श्याम की भक्ति में लीन हो जाएँ। जैसे नदी समुद्र में मिलकर शांत होती है, वैसे ही श्याम का दर भक्त के मन को उलझनों से मुक्त कर शांति और सुख देता है।
भजन में संसार की नश्वरता और अहंकार की व्यर्थता को उजागर किया गया है। दुनिया में कोई किसी के साथ पूरी तरह नहीं चलता, और दंभ में कोई नहीं झुकता, पर भक्त को विनम्रता और श्याम के प्रति समर्पण अपनाना चाहिए। कर्मों का फल सबको मिलता है, और श्याम की नजर हर मन पर है, फिर भी यदि मन भटके, तो खाटू का रास्ता अपनाने की प्रेरणा दी गई है। श्याम का नाम जपने से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और वे सदा भक्त के साथ चलते हैं। शर्मा और केशव जैसे भक्तों को यह संदेश है कि सांसारिक गोरखधंधों को छोड़कर श्याम की भक्ति में लीन हो जाएँ। जैसे नदी समुद्र में मिलकर शांत होती है, वैसे ही श्याम का दर भक्त के मन को उलझनों से मुक्त कर शांति और सुख देता है।
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