दुखियो के दाता भोले नाथ भगवान

दुखियो के दाता भोले नाथ भगवान

दुखियो के दाता भोले नाथ भगवन,
तुझको छोड़ कहा जाओ मैं,
पुजू कौन भगवन,
दुखियो के दाता भोले नाथ भगवन,

सतय वान को कैसे भगवन दिया जीवन का दान,
सुहाग मेरा लौटा दो प्रभु मांगू ये वरदान,
पूजा भक्ति मैं न जानू जानू तेरा नाम,
तुझको छोड़ कहा जाओ मैं......

वाण लगा जब लक्ष्मण को तो संजीवनी मंगवाई,
मेरी बात प्रभु क्यों तूने इतनी देर लगाई,
मेरी बार प्रभु तूने क्यों इतनी देर लगाई,
जो तू चाहे बसम बने संजीवनी समा,

सुंदर भजन में भोलेनाथ की कृपा और उनके दयालु स्वरूप को भावपूर्ण रूप से प्रकट किया गया है। शिव भक्तों के दुखों को हरने वाले हैं, जो अपने भक्तों को कभी अकेला नहीं छोड़ते। जब कोई भक्त सच्चे मन से उन्हें पुकारता है, तो वे उसकी सहायता के लिए अवश्य आते हैं। इस भजन में भक्ति की गहराई स्पष्ट होती है—यह विश्वास कि भोलेनाथ ही अंतिम आश्रय हैं, जिनके चरणों में समर्पण से जीवन के संकट मिट जाते हैं। शिव की कृपा से असंभव भी संभव बन जाता है, जैसे कि सतयवान को जीवनदान मिला और संजीवनी बूटी ने लक्ष्मण को नया जीवन दिया।

शिव भक्त की पुकार में करुणा, प्रेम और विश्वास है। वह अपने आराध्य से प्रार्थना कर रहा है कि उसकी कठिनाइयाँ दूर हों और उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहे। इस भजन में श्रद्धा का वह अनूठा रूप दिखाई देता है, जहाँ शिव के प्रति अनन्य प्रेम और समर्पण ही जीवन का सबसे बड़ा संबल बन जाता है। हर हर महादेव!

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