घोर अंधकार हो चल रही बयार लिरिक्स Ghor Andhkar Ho Chali Bayar
घोर अंधकार हो,चल रही बयार, हो,
आज द्वार-द्वार पर यह दिया बुझे नहीं, यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है।
शक्ति का दिया हुआ,शक्ति को दिया हुआ, भक्ति से दिया हुआ,यह स्वतंत्रता दिया,
रुक रही न नाव हो,जोर का बहाव हो, आज गंग-धार पर यह दिया बुझे नहीं, यह स्वदेश का दिया प्राण के समान है।
यह अतीत कल्पना,यह विनीत प्रार्थना, यह पुनीत भावना,यह अनंत साधना, शांति हो,अशांति हो,युद्ध,संधि,क्रांति हो,
Desh Bhakti Geet Lyrics in Hindi
तीर पर,कछार पर,यह दिया बुझे नहीं, देश पर,समाज पर,ज्योति का वितान है।
तीन-चार फूल हैं,आस-पास धूल हैं, बांस हैं,बबूल हैं,घास के दुकूल हैं, वायु भी हिलोर दे,फूंक दे,झकोर दे, कब्र पर,मजार पर,यह दिया बुझे नहीं,
यह किसी शहीद का पुण्य प्राण-दान है।
झूम-झूम बदलियां,चूम-चूम बिजलियां, आंधियां उठा रहीं,हलचलें मचा रहीं, लड़ रहा स्वदेश हो,शांति का न लेश हो, क्षुद्र जीत-हार पर,यह दिया बुझे नहीं, यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है।