हम है श्याम दिवाने भजन
हम है श्याम दिवाने भजन
बदले अगर जो सारी दुनिया बदले चाहे जमानानहीं परवाह है मुझको कान्हा बस तु बदल ना जाना
प्रेम ही कारोबार है अपना प्रेम ही करना जाने
हम है श्याम दिवाने.......
हम कीर्तनीया कीर्तन करते, कीर्तन करना जाने,
हम है श्याम दिवाने......
गाँव-गाँव और गली-गली में महिमा श्याम की गावे,
जहाँ-जहाँ हो कीर्तन प्रभु का हम तो वही रम जावे,
मील गई जबसे चरण-चाकरी.....
मील गई जबसे चरण-चाकरी बन-गए हम मस्ताने...
हम है श्याम दिवाने....
श्याम दिवाने शामिल होकर संगत श्याम की गाए,
जय श्री श्याम से करे अभिवादन, सबमे श्याम को पाऐ,
उच-नीच का भेद ना जाने,
उच-नीच का भेद ना जाने, सबको अपना माने...
हम है श्याम दिवाने......
शरण सुदामा के जैसी दो घन्ना की सी लगन,
नानी नरसी सुर कबीरा जैसे हुए है मगन,
"सोहन" मीरा के संदेशे हमे लगे है भाने,
हम है श्याम दिवाने......
सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति अटूट प्रेम और उनके दीवानों की मस्ती भरी भक्ति का उत्साहपूर्ण चित्रण है। भक्त का प्रेम इतना गहरा है कि दुनिया या जमाना बदल जाए, पर वह श्याम के प्रेम में अडिग रहता है। उसका एकमात्र कारोबार प्रेम है, जो वह गाँव-गली में कीर्तन के माध्यम से फैलाता है। जैसे एक नदी हर किनारे को स्पर्श करती है, वैसे ही भक्त श्याम की महिमा हर जगह गाकर उनके चरणों में रम जाता है। यह उद्गार सिखाता है कि सच्ची भक्ति प्रेम और समर्पण का वह रंग है, जो कभी फीका नहीं पड़ता।
श्रीकृष्णजी की चाकरी पाकर भक्त मस्ताना बन गया है, जो कीर्तन में जय श्री श्याम का उद्घोष करता है। वह ऊँच-नीच का भेद मिटाकर सबको श्याम का रूप मानता है, जैसे सुदामा, नरसी, कबीर और मीराबाई ने प्रभु में मगन होकर जीवन जिया। ‘सोहन’ जैसे भक्त मीराबाई के संदेश से प्रेरित होकर श्याम के प्रेम में डूबे हैं। जैसे चंदन की सुगंध हर दिशा में फैलती है, वैसे ही श्याम की भक्ति भक्तों के हृदय को आनंद और एकता से जोड़ती है। यह भाव दर्शाता है कि प्रभु का प्रेम हर बंधन को तोड़कर जीवन को मस्ती और शांति से भर देता है।
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