ईब के फागण मे ठानी खाटू भजन

ईब के फागण मे ठानी खाटू

हावड़ा से चलकर भगतो के संग खाटू हम भी जाएगे,
ईब के फागण मे ठानी खाटू मे होली मनाएगे,
किया किया बडा किया हमने इंतेजार किया ठिक है,
मेला है ये फागण का मन मे विचार किया ठिक है,
भाई बंधु बीवी बच्चे सबको तैयार किया,
मेले मे जाने को लाखो का उधार किया ठिक है,
कुछ भी हो जाए पर ईब तो रोके ना रुक पाएंगे,
ईब के फागण मे ठानी खाटू................

अब तक जो ना खाया शयाम को खिलाएंगे ठिक है ,
भुतनाथ से लिटी चोखा हम ले जाएंगे ठिक है,
बडा बाजार से रसगुल्ला मंगाऐंगे,
श्याम बाजार का संदेश चखाएंगे ठिक है,
ये सब चीजे खाते ही श्याम हम से प्रेम बढाएगे,
ईब के फागण मे ठानी खाटू................

होली ऐसी खेलेंगे शयाम भुल नही पाएगा ठिक है,
फागण तो दुर हर गयारस पे बुलाएगा ठिक है ,
प्रेम का रसीया ये प्रेम निभाएगा,
हारे जो तुम कही पे तो जीत दिलाएगा ठिक है ,
दुनियादारी छोड़ के "टीटू" खाटू मे बस जाएगे,
हावड़ा से चलकर भगतो के संग खाटू हम भी जाएगे ,
ईब के फागण मे ठानी खाटू मे होली मनाएगे....

सुन्दर भजन में फागण के पावन अवसर पर खाटू में श्रीकृष्णजी के साथ होली मनाने की उत्साहपूर्ण चाह और भक्ति का जीवंत चित्रण है। भक्त हावड़ा से भक्तों के संग खाटू जाने की ठान चुका है, परिवार और मित्रों को तैयार कर, उधार लेकर भी मेले की तैयारी कर ली है। यह दृढ़ निश्चय दर्शाता है कि श्याम के प्रेम में कोई बाधा उसे रोक नहीं सकती। जैसे एक यात्री मंजिल की ओर बढ़ता है, वैसे ही भक्त फागण में खाटू की राह पकड़ता है। यह उद्गार सिखाता है कि सच्ची भक्ति में उत्साह और समर्पण हर रुकावट को पार कर देता है।

भक्त श्याम को भूतनाथ का लिट्टी-चोखा, बड़ा बाजार का रसगुल्ला और श्याम बाजार का संदेश खिलाने की योजना बनाता है, ताकि प्रेम का बंधन और गहरा हो। वह ऐसी होली खेलेगा कि श्याम उसे कभी न भूलें, और हर ग्यारस पर बुलाएँ। श्याम का प्रेम निभाने और हारे को जिताने वाला स्वरूप भक्त का विश्वास बढ़ाता है। 'टीटू' जैसे भक्त की कामना खाटू में बसने की है, जहाँ सांसारिकता छोड़कर केवल श्याम का रंग छाए। जैसे होली के रंग हर ओर बिखरते हैं, वैसे ही श्याम का प्रेम भक्त के जीवन को आनंद और प्रेम से भर देता है। यह भाव दर्शाता है कि भक्ति का उत्सव जीवन को सार्थक और रंगीन बनाता है।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं

Next Post Previous Post