हम कब से पड़े है शरण तुम्हारी लिरिक्स Hum Kab Se Pade Hain Lyrics
हम कब से पड़े हैं,
शरण तुम्हारी,
सुनलो साँवरिया,
हम कोई गैर नहीं,
नौकर तेरे दरबार के हम है,
सुन लो सांवरिया,
हम कोई गैर नहीं।
गुजरा हुआ हर पल,
हमे याद आता है,
तेरे सिवा हमको,
ना कोई भाता है,
मेरी लाज तुम्हारे हाथ है,
सुन लो सांवरिया,
हम कोई गैर नहीं।
अपनों से साँवरिया,
परहेज है कैसा,
देखा ना दुनिया में,
दिलदार तुम जैसा,
हम तेरे आसरे कब से बैठे,
सुन लो सांवरिया,
हम कोई गैर नहीं।
बस इतनी तमन्ना है,
दीदार हो तेरा,
कहीं बिखर ना जाए श्याम,
अनमोल प्यार मेरा,
अब निर्मोही ना बनो ओम की,
सुन लो सांवरिया,
हम कोई गैर नहीं।
हम कब से पड़े हैं,
शरण तुम्हारी,
सुनलो साँवरिया,
हम कोई गैर नहीं,
नौकर तेरे दरबार के हम है,
सुन लो सांवरिया,
हम कोई गैर नहीं।
शरण तुम्हारी,
सुनलो साँवरिया,
हम कोई गैर नहीं,
नौकर तेरे दरबार के हम है,
सुन लो सांवरिया,
हम कोई गैर नहीं।
गुजरा हुआ हर पल,
हमे याद आता है,
तेरे सिवा हमको,
ना कोई भाता है,
मेरी लाज तुम्हारे हाथ है,
सुन लो सांवरिया,
हम कोई गैर नहीं।
अपनों से साँवरिया,
परहेज है कैसा,
देखा ना दुनिया में,
दिलदार तुम जैसा,
हम तेरे आसरे कब से बैठे,
सुन लो सांवरिया,
हम कोई गैर नहीं।
बस इतनी तमन्ना है,
दीदार हो तेरा,
कहीं बिखर ना जाए श्याम,
अनमोल प्यार मेरा,
अब निर्मोही ना बनो ओम की,
सुन लो सांवरिया,
हम कोई गैर नहीं।
हम कब से पड़े हैं,
शरण तुम्हारी,
सुनलो साँवरिया,
हम कोई गैर नहीं,
नौकर तेरे दरबार के हम है,
सुन लो सांवरिया,
हम कोई गैर नहीं।
भजन कीर्तन के लिए आवश्यक वेशभूषा व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और विश्वासों के आधार पर भिन्न होती है। कुछ लोग भजन कीर्तन के लिए पारंपरिक धार्मिक वेशभूषा पहनना पसंद करते हैं, जबकि अन्य आरामदायक और व्यावहारिक कपड़े पहनना पसंद करते हैं।
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