जगत का रखवाला भगवान
जगत का रखवाला भगवान
जो भी चाहे मांग ले, भगवान् के भण्डार से,कोई भी जाए ना खाली हाथ इस दरबार से।
जगत का रखवाला भगवान्,
अरे इंसान उसे पहचान।
सब के सर पर हाथ उसी के, उस के हाथ करोड़,
हरी नाम के मूर्ख प्राणी, मन की डोरी जोड़।
भूल के उसको भटक रहा क्यूँ डगर डगर नादान॥
जगत का रखवाला भगवान्,
अरे इंसान उसे पहचान।
छोड़ शरण दुनिया की बन्दे, प्रभु चरणो में आ,
करने वाला करेगा न्याय मन की विपत सुना।
हो जायेगी राम नाम से हर मुश्किल आसान॥
जगत का रखवाला भगवान्,
अरे इंसान उसे पहचान।
सुंदर भजन में ईश्वर की असीम कृपा और उनके न्यायपूर्ण स्वरूप को प्रदर्शित किया गया है। यह भाव व्यक्ति को स्मरण कराता है कि परमात्मा के दरबार से कोई भी खाली नहीं लौटता—जो भी सच्चे मन से उन्हें पुकारता है, वह उनकी कृपा का पात्र बनता है। मानव की विडंबना यह है कि वह संसार की क्षणभंगुर सुख-सुविधाओं में उलझकर, ईश्वर को भूल जाता है। जबकि हर कठिनाई, हर बाधा और हर संकट में केवल प्रभु का नाम ही सच्चा संबल बनता है। जो व्यक्ति मन की डोरी प्रभु से जोड़ता है, वह निश्चय ही जीवन के हर संघर्ष को पार कर जाता है।
ईश्वर की शरण में आना केवल सांसारिक संकटों से मुक्ति नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और शांति की प्राप्ति भी है। जब व्यक्ति उनकी कृपा को समझकर जीवन जीता है, तब हर कठिनाई भी सरल प्रतीत होती है। उनके न्याय में कोई पक्षपात नहीं—वे भक्त की निष्ठा और आस्था के अनुरूप ही उसकी विपदाओं को हरते हैं।
ईश्वर की शरण में आना केवल सांसारिक संकटों से मुक्ति नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और शांति की प्राप्ति भी है। जब व्यक्ति उनकी कृपा को समझकर जीवन जीता है, तब हर कठिनाई भी सरल प्रतीत होती है। उनके न्याय में कोई पक्षपात नहीं—वे भक्त की निष्ठा और आस्था के अनुरूप ही उसकी विपदाओं को हरते हैं।
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