जय भोले जय भोले जय भोले नाथ
जय भोले जय भोले जय भोले नाथ
जय भोले जय भोले जय भोले नाथ,जय भोले जय भोले जय भोले नाथ,
दीनो के दीन अनाथो के नाथ,
जय भोले जय भोले जय भोले नाथ,
माथे पे तेरे चंदा सोहे और गले में सर्प विराजे,
एक हाथ तिरशूल तुम्हारे दूजे में डम डम डमरू बाजे,
तन पर लपेती है तूने राख,
जय भोले जय भोले जय भोले नाथ
क्रोध की अग्नि से तेरी सब करते पापी अत्याचारी,
तेरी महिमा गाते है सब शंकर शम्भू हे जटाधारी,
किरपा की द्रिष्टि करो गोरी नाथ,
जय भोले जय भोले जय भोले नाथ
तुम श्रिस्ती के रचना कारी हो,
तुम श्रिस्ती के पालक हो,
तुम ही करता तुम ही भरता तुम ही सब के नाशक हो,
तेरी शरण में आया है आज,
जय भोले जय भोले जय भोले नाथ
जो भी शरण में आये तेरी संकट दूर रहे उनसे,
हे गंगेश्वर हे नागेश्वर हम विनती करे तुमसे,
सिर पर भी हमारे रखदो हाथ,
जय भोले जय भोले जय भोले नाथ
सुंदर भजन में शिव की महिमा का ऐसा गुणगान है, जो मन को भक्ति की गहराई में ले जाता है। यह उद्गार शिव को दीनों और अनाथों का सहारा बताता है, जो हर दुखी और असहाय के लिए आश्रय हैं। जैसे कोई बच्चा माता-पिता की गोद में सुकून पाता है, वैसे ही भक्त शिव की शरण में शांति खोजता है।
शिव का रूप—माथे पर चाँद, गले में सर्प, हाथ में त्रिशूल और डमरू—इस सादगी और शक्ति के मेल को दर्शाता है। राख लपेटे शिव का यह स्वरूप बताता है कि सच्ची सुंदरता बाहरी चमक में नहीं, बल्कि मन की पवित्रता में है। डमरू की ध्वनि मानो संसार को शिव के प्रेम में झंकृत कर देती है। यह रूप भक्त के मन में श्रद्धा और विस्मय जगाता है।
शिव की क्रोधाग्नि, जो पापियों का नाश करती है, और उनकी करुणा, जो भक्तों पर कृपा बरसाती है, दोनों का मिलन उनकी अपार महिमा को दिखाता है। यह भाव मन को सिखाता है कि गलत रास्ते पर चलने वालों को सुधारने की ताकत और सही मार्ग पर चलने वालों को आशीर्वाद देने की दया, दोनों शिव में समाई हैं। जैसे सूरज की किरणें अंधेरे को हटाती हैं, वैसे ही शिव की कृपा जीवन के संकटों को दूर करती है।
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