सावन फुहार कह रही है लिरिक्स Sawan Ki Fuhar Kah Rahi Hai Lyrics


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सावन फुहार कह रही है लिरिक्स Sawan Ki Fuhar Kah Rahi Hai Lyrics

कावड़ उठा लो शिव पे चडालो,
मन चाहा वर इनसे पा लो सावन फुहार कह रही है,
गंगा की धार बह रही है,

शिव वरदानी भस्मासुर को वर निराला दे बैठे,
भस्म हुआ अपने हाथो से मोहनी रूप प्रभु धारे,
बाबा मेरे भोले बाले,
तू वी आ झोली फैला ले सावन फुआर कह रही है,
गंगा की धार बह रही है,

ओ ब्रह्म कमण्डल निकली गंगा शिव जटा में लिपटाये,
भागी रथ के पुरखे तारे एक लट जो भिखराये,
डमरू वाले खेल निराले तू भी इनका ध्यान लगा ले,
सावन फुआर कह रही है गंगा की धार बह रही यही,

देवो ने पेय अमृत ये पे गये विष के प्याले,
नील कंठ कहलाने वाले गले में देखो विष धारे,
बाबा के है खेल निराले शीश चरणों में झुका ले,
श्याम ने सुणा दे तेरे मन की बाता,
 


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