झूठी गर्दन हिलाते हो कीर्तन में क्यूं लिरिक्स Jhuthi Gardan Hilate Ho Lyrics
झूठी गर्दन हिलाते हो कीर्तन में क्यूं ,
भक्ति करने को सच्चा जिगर चाहिए ,
खींचा दौड़ा - चला आएगा सांवरा,
तेरी आंहो में इतना असर चाहिए ,
कामयाबी की सीढ़ी अगर तुम चढ़े,
होंगे दुश्मन कई रास्ते में खड़े ,
हार जाएंगे वो जिनकी टेढ़ी नजर,
उस मेहरबां की सीधी नजर चाहिए,
दिल से जो श्याम का श्याम उसका बना,
भक्ति निष्काम हो काम उसका बना ,
कौन कहता है सांवरिया आता नहीं ,
तुझको भिलनी के जैसा सब्र चाहिए ,
पाप करके तू खुद को भला मानता ,
कितने पानी में है तू वो सब जानता ,
जो पलटती है पल - पल में दुनिया है वो,
इससे लड़ने का तुझको हुनर चाहिए ,
है समय कर ले पापों का तू खात्मा ,
काल बंधन से अपनी छुड़ा आत्मा ,
" नरसी " तन का ना धन का भरोसा कोई,
करनी आगे की तुझको फिक्र चाहिए ,
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यह भजन एक भक्त की भक्ति में सच्चाई और निष्ठा के महत्व को बताता है। भक्त कहता है कि अगर कोई भक्ति में झूठ बोलता है, तो उसे श्याम बाबा की कृपा नहीं मिल सकती है। उसे अपनी आँखों में इतना असर होना चाहिए कि श्याम बाबा उसकी तरफ आकर्षित हों।