कब से पुकारू मेरे श्याम
कब से पुकारू मेरे श्याम,
आजा मैं तो खड़ा हूँ दरबार में,
कब से पुकारू मेरे श्याम।
सांवरे सलौने मुझको भी,
तेरी एक झलक दिखला दे,
मैं हूँ दीवाना तेरा मुझको भी,
बाबा अब राह दिखा दे,
तू है दयालु दातार,
आजा मैं तो खड़ा हूँ दरबार में,
कब से पुकारू मेरे श्याम।
तेरा सहारा तेरा भरोसा,
तुझे आना पड़ेगा,
मुझको बुलाया अपनी शरण,
बाबा लेना पड़ेगा,
मुझको है तेरा इंतज़ार,
आजा मैं तो खड़ा हूँ दरबार में,
कब से पुकारू मेरे श्याम।
पप्पूलाल बोले मैं भी रंगा हूँ रंग में तेरे,
हाथ दया का बाबा रखदे सिर पर मेरे,
गुलशन भी आया दरबार,
आजा मैं तो खड़ा हूँ दरबार में,
कब से पुकारू मेरे श्याम।
कब से पुकारूँ मेरे श्याम,
आजा मैं तो खड़ा हूँ दरबार में,
कब से पुकारू मेरे श्याम।
इस भजन में भक्त अपने इष्ट देव कृष्ण जी से विनती करता है कि वह उसे अपने दरबार में दर्शन दें। भक्त कहता है कि वह कृष्ण जी को बहुत समय से पुकार रहा है, लेकिन कृष्ण जी ने अभी तक उसे दर्शन नहीं दिए हैं। भक्त कहता है कि वह कृष्ण जी का दीवाना है और वह उनके दर्शन के बिना नहीं रह सकता।