खाटू जावा दर्शन पावा नजर उतारा

खाटू जावा दर्शन पावा नजर उतारा बाबा की

खाटू जावा दर्शन पावा नजर उतारा बाबा की,
सखियाँ चालो माहरो श्याम धनि धनी की नजर उतार आये,
भाया चालो माहरो श्याम धनि धनी की नजर उतार आये,
नजर उतार आए राई लुन वार आये,
सखियाँ चालो माहरो श्याम धनि धनी की नजर उतार आये,

खाटू के मन्द माहि बैठो सेठ सांवरो,
सखियाँ चालो माहरो श्याम धनि धनी की नजर उतार आये,

कजलियां की सोवनी सी टीकी काडा ऐ,
सखियाँ चालो माहरो श्याम धनि धनी की नजर उतार आये,

सूरज वारा चंदा वारा तन मन वारा ऐ,
सखियाँ चालो माहरो श्याम धनि धनी की नजर उतार आये,

आंसुड़ा री भेट चरण में जाए चढ़ावा ये ,
सखियाँ चालो माहरो श्याम धनि धनी की नजर उतार आये,

चेतन की अरदास श्याम लाढ लड़ावा ऐ,
सखियाँ चालो माहरो श्याम धनि धनी की नजर उतार आये.

सुन्दर भजन में खाटू वाले बाबा की भक्ति का उत्सवपूर्ण चित्रण किया गया है। यह भाव दर्शाता है कि बाबा के दर्शन की अद्भुत लालसा और भक्तों की श्रद्धा उनके दरबार में जाने को प्रेरित करती है। भक्ति का यह उल्लासपूर्ण भाव आँखों में उमड़ते प्रेम और श्रद्धा की तरंगें उत्पन्न करता है, जहां हर कोई अपनी आस्था के पुष्प बाबा के चरणों में अर्पित करने को आतुर होता है।

जब भक्त बाबा के मंदिर की ओर बढ़ते हैं, तो उनके हृदय में अद्भुत उत्साह होता है—सूरज और चाँद के समान, तन-मन सब समर्पित हो जाता है। इस गहरी आस्था में नजर उतारने की प्रथा केवल एक साधारण क्रिया नहीं, बल्कि विश्वास की अभिव्यक्ति है कि बाबा के आशीर्वाद से हर संकट दूर हो जाता है। प्रेम और श्रद्धा से सखियाँ मिलकर बाबा के सम्मान में नजर उतारती हैं, यह भक्ति का वह सजीव भाव है, जिसमें श्रद्धालु अपने समर्पण को दर्शाते हैं। 

बाबा का दरबार दिव्यता से परिपूर्ण है, जहां सेठ सांवरा भक्तों को अपनी कृपा से निहाल करते हैं। उनके दर्शन से मन पवित्र हो जाता है और जीवन में नया प्रकाश भर जाता है। बाबा की छवि में वह सौंदर्य समाहित है, जो भक्तों को मोह लेता है और उन्हें भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

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