श्याम नाम रस पीले मनवा बून्द बून्द गुणकारी
श्याम नाम रस पीले मनवा बून्द बून्द गुणकारी
(मुखड़ा)श्याम नाम रस पीले मनवा,
बूंद-बूंद गुणकारी है,
कितने पी कर अमर हो गए, इस बलिहारी है।।
(अंतरा)
ये अनमोल रसायन है, जो पैसों से नहीं बिकता है,
दुनिया के बाजारों में ये ढूंढ़े से नहीं मिलता है,
प्रेम तराजू तोल के देखा, सांवरिया व्यापारी है,
कितने पी कर अमर हो गए, इस बलिहारी है।।
(अंतरा)
श्याम सुधा का स्वाद निराला, पीता किस्मत वाला है,
हो जाता पी कर मतवाला, ये ऐसी मधुशाला है,
दिन-दुगुनी रात-चौगुनी, पड़ती रहे खुमारी रे,
कितने पी कर अमर हो गए, इस बलिहारी है।।
(अंतरा)
जिसने ये रस पान किया है, चमका भाग्य सितारा है,
जी भर के पिया करो, ये तो अमृत की धारा है,
बिन जो पीते हैं उनकी, श्याम प्रभु से यारी है,
कितने पी कर अमर हो गए, इस बलिहारी है।।
(पुनरावृति)
कितने पी कर अमर हो गए, इस बलिहारी है।।
श्याम नाम रस पीले मनवा
सुन्दर भजन में श्याम के नाम के अमृतमय रस का आनंद और उसकी अपार महिमा को दर्शाया गया है। यह भाव प्रकट करता है कि श्याम का नाम प्रेम और भक्ति की वह संजीवनी है, जो आत्मा को दिव्यता से भर देती है। इसे कोई बाज़ार में नहीं खरीद सकता, यह केवल सच्चे प्रेम और श्रद्धा से प्राप्त होता है।
जब भक्त इस नाम का रसपान करता है, तो उसका भाग्य चमक उठता है और वह आनंद के सागर में डूब जाता है। यह भक्ति का वह मधुर अनुभव है, जिससे जीवन में उमंग और उल्लास आ जाता है। जैसे अमृत की बूंदें जीवन को नूतन ऊर्जा देती हैं, वैसे ही श्याम का नाम आत्मा को नवजीवन प्रदान करता है।
प्रेम की तराजू में श्याम का नाम सर्वोत्तम है—जिसने इसे अपनाया, उसके लिए संसार के हर सुख-साधन तुच्छ हो गए। यह भजन इस अनुभूति को जीवंत करता है कि जब श्याम की सुधा हृदय में उतरती है, तब भक्त प्रेम में मतवाला हो जाता है और भक्ति की इस मधुशाला में रम जाता है। यही आत्मिक अमृत उसे अमरत्व का अनुभव कराता है।
भक्ति का यह मार्ग सच्चे प्रेम से सराबोर है—जिसने इसे अपनाया, वह श्याम के अनंत आशीर्वाद का अधिकारी बन गया। यही विश्वास भक्त को भक्ति के इस रस में डुबो देता है और उसे आनन्द की गहराइयों में ले जाता है। बाबा का नाम लेने का यह अनुभव हृदय को शांति और दिव्यता प्रदान करता है।
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