खाटू से निकलते ही कुछ दूर चलते ही पाँव तो जाते ठहर
खाटू से निकलते ही कुछ दूर चलते ही पाँव तो जाते ठहर,
सांवरे की यादो को ले के चले है यो आंखे तो जाती है भर,
सांवरे से होक जुदा रहना हुआ है मुश्किल,
दर्शन को फिर आये गे इनको पुकारे ये दिल,
खाटू से निकलते ही.......
देखे उन्हें दिल तो करे झपके न पलके कभी,
ऐसा हसीं दूजा नहीं होते दीवाने सभी
वापिस है जाना दिल तो ना माने,
आँखों से बहते गम के तराने,
धुन ला सी जाती है डगर,
खाटू जो आते है घर भूल जाते है,
बाबा से मिलती जब नजर,
खाटू से निकलते ही.......
हाथो से है दिल तो गया ऐसी बंधी डोर है,
दीवानो पे बाबा का ही चलता सदा जोर है,
धड़कन में है वो तन मन में है वो सांसो में है वो जीवन में है वो,
दीखता है देखे हम जिधर,
बेबस तो है चोखानी टोनी ने हार मानी दीवानगी है किस कदर,
खाटू से निकलते ही.......
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