जब खाटू नगर जाना ये बात मत भुलाना
जब खाटू नगर जाना ये बात मत भुलाना
जब खाटू नगर जाना ये बात मत भुलाना,
लूट ता वह खजाना खाली हाथ जाओ गये,
झोली भर के लाओ गये,
है सब को पता है सबको खबर जगत सेठ है नटवर नागर,
मंगते जो भी दर पर आते है मन की मुरादे वो पाते है,
दरबार में जब जाना चरणों में सिर झुकना अरदास तुम लगाना,
खाली हाथ जाओ गये,
झोली भर के लाओ गये,
ये नीले वाला मेरा संवारा,ये लख दातार दानी बड़ा,
भगतो पे संकट ये पल में हरे और बेसहारो पे किरपा करे,
गाथा उन्हें बताना दुखड़ा उन्हें सुनाना फिर चाहे जो भी पाना,
खाली हाथ जाओ गये,
झोली भर के लाओ गये,
मस्ती भरा आया फागुन होली खेले गे राधा रमन,
आउ भक्तो कर लो तयारी भर भर के लाऊ पिचकारी,
होली का ज़माना कान्हा को रंग लगाना मौका ये न गवाना,
खाली हाथ जाओ गये,
झोली भर के लाओ गये,
लूट ता वह खजाना खाली हाथ जाओ गये,
झोली भर के लाओ गये,
है सब को पता है सबको खबर जगत सेठ है नटवर नागर,
मंगते जो भी दर पर आते है मन की मुरादे वो पाते है,
दरबार में जब जाना चरणों में सिर झुकना अरदास तुम लगाना,
खाली हाथ जाओ गये,
झोली भर के लाओ गये,
ये नीले वाला मेरा संवारा,ये लख दातार दानी बड़ा,
भगतो पे संकट ये पल में हरे और बेसहारो पे किरपा करे,
गाथा उन्हें बताना दुखड़ा उन्हें सुनाना फिर चाहे जो भी पाना,
खाली हाथ जाओ गये,
झोली भर के लाओ गये,
मस्ती भरा आया फागुन होली खेले गे राधा रमन,
आउ भक्तो कर लो तयारी भर भर के लाऊ पिचकारी,
होली का ज़माना कान्हा को रंग लगाना मौका ये न गवाना,
खाली हाथ जाओ गये,
झोली भर के लाओ गये,
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इस भजन में श्रीश्यामजी की कृपा और खाटूधाम की दिव्यता का अनोखा वर्णन किया गया है। यह स्थान केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि ईश्वरीय प्रेम और भक्ति का केंद्र है, जहाँ भक्त सच्चे हृदय से जाता है और खाली हाथ नहीं लौटता। श्रीश्यामजी के दरबार में जो भी श्रद्धा से आता है, उसकी झोली उनकी कृपा से भर जाती है।
खाटूधाम का महत्व केवल स्थान की पवित्रता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भक्तों के विश्वास और श्रद्धा का प्रमाण भी है। श्रीश्यामजी की अनंत कृपा से वहाँ जाने वाले प्रत्येक भक्त की मनोकामना पूरी होती है, और वह दिव्यता तथा आनंद की अनुभूति करता है। उनकी भक्ति से जीवन में स्थिरता और आध्यात्मिक उन्नति आती है।
भजन का भाव यह दर्शाता है कि श्रीश्यामजी की भक्ति से जीवन में वास्तविक सुख और संतोष प्राप्त होता है। जब भक्त सच्चे मन से उनकी आराधना करता है, तब वह सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर श्रीश्यामजी के प्रेम में रम जाता है। उनकी कृपा से हर संकट समाप्त होता है, और आत्मा को शांति की प्राप्ति होती है।
श्रीश्यामजी की भक्ति से जीवन में दिव्यता और शांति का संचार होता है। जब कोई प्रेमपूर्वक उनकी उपासना करता है, तब उसकी आत्मा ईश्वरीय कृपा से भर जाती है, और वह सभी विघ्नों से मुक्त होकर भक्ति के मधुर रस में रम जाता है। यही इस भजन का दिव्य संदेश है—श्रद्धा, प्रेम और भक्ति से श्रीश्यामजी की कृपा को प्राप्त करना और उनकी उपासना से आत्मा को अनंत आनंद और शांति से भर देना। यही भक्ति का सजीव स्वरूप है।