चालो जी चालो खाटू धाम

चालो जी चालो खाटू धाम

म्हारे मन में लागो चाव,
ईबके जास्यूं श्याम के द्वार,
आयो फागणो रो त्यौहार सगळा,
चालो जी चालो खाटु धाम,
ओ भक्तां चालो जी चालो खाटू धाम।

श्याम को हेलो आयो,
यो झालो देके बुलायो,
करे है याद सांवरिया,
लुटावे प्यार,
म्हारो मनड़ो है हरशायो,
झूमूँ नाचू खुशियां मनाऊँ,
उड़ रही रंग अबीर गुलाल सगला,
चालो जी चालो खाटु धाम,
ओ भक्तां चालो जी चालो खाटू धाम।

श्याम की महिमा न्यारी,
आवे लाखों नर नारी,
बैठ्यो है लखदातारी,
ओ बाबो श्याम,
दुल्हन बन गई खाटू नगरीया,
टेढ़ी मेढ़ी है डगरिया,
डोरी खींच रह्यो दातार सगला,
चालो जी चालो खाटु धाम,
ओ भक्तां चालो जी चालो खाटू धाम।

श्याम का दर्शन पाऊं,
नया नया भजन सुनाऊँ,
श्याम की दीवानी बन के.
मैं झूमूँ रे,
ईबके विकास भी खाटू आवे,
श्याम ने मन की बात सुनावे,
झोली भर देलो लखदातार सगला,
चालो जी चालो खाटु धाम,
ओ भक्तां चालो जी चालो खाटू धाम

म्हारे मन में लागो चाव,
ईबके जास्यूं श्याम के द्वार,
आयो फागणो रो त्यौहार सगळा,
चालो जी चालो खाटु धाम,
ओ भक्तां चालो जी चालो खाटू धाम।


चालो जी चालो खाटू धाम | Lyrical Khatu Shyam Bhajan | by Annu Mishra | Full HD Video

श्यामजी के प्रति अटूट श्रद्धा और प्रेम का उत्सव मनाने का संदेश यह सुन्दर भजन प्रदर्शित करता है। मन में उमड़ता श्रद्धा का उत्साह, खाटू धाम की ओर कदम बढ़ाने की प्रबल इच्छा, यह सब भक्त के हृदय में उमड़ते भावों को जीवंत करता है।

फागुन का उल्लासमय पर्व प्रेम और भक्ति से सराबोर होकर आता है, जहाँ श्रद्धालु श्यामजी के द्वार पर उनकी कृपा प्राप्त करने की लालसा रखते हैं। जब श्यामजी अपने भक्तों को बुलाते हैं, तो मन उल्लास से भर उठता है, प्रेम की बयार में झूम उठता है। रंग और गुलाल के साथ भक्ति का रंग भी गहरा होता जाता है, जहाँ स्वयं का समर्पण ही परम आनंद का स्रोत बन जाता है।

खाटू नगरीया, जो श्रद्धालुओं की आस्था से दुल्हन के समान सजी है, वहाँ लाखों नर-नारी अपने प्रभु श्यामजी के दर्शनों की लालसा में आते हैं। यह मार्ग कठिन और संकल्प से भरा है, लेकिन आस्था की डोर भक्त को मार्गदर्शन देती है, और अंततः श्यामजी की कृपा से मन आनंद से भर जाता है।

श्यामजी के चरणों में समर्पित होना, भजन गाना, उनकी महिमा का गुणगान करना, और अपने समस्त दुखों को उनके चरणों में अर्पित करना – यही सच्ची भक्ति का स्वरूप है। उनकी कृपा से मन की बात कहने का अद्भुत अवसर प्राप्त होता है, जिससे भक्त का हृदय भर जाता है।

यह श्रद्धा और समर्पण का वह अटूट भाव है, जो भक्त को दिव्यता की ओर प्रेरित करता है, जहाँ प्रेम, आस्था, और आनंद की अनवरत वर्षा होती है। खाटू धाम जाने की यह अभिलाषा केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा के परमात्मा से मिलने की प्यास है। 
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