किस्मत से शुभ दिन आया, श्याम खाटू से चलकर आया, चन्दन चौक पुराओ, मंगल कलश सजाओ, कोई पुण्य सामने आया, श्याम खाटू से चलकर आया......
माथे तिलक लगाओ,हार बाबा ने पहनाओ, बाबा प्रेम देख मुस्काया, श्याम खाटू से चलकर आया......
मिल आरती उतारो, अपनों भाग्य संवारो, कोई छपन भोग लगाया, श्याम खाटू से चलकर आया......
हाल दिल का कहगा, नंदू अब ना चुकागा, कोई अर्जी पास कराया, श्याम खाटू से चलकर आया......
Kismat Se Subh Din Aaya [Rajasthani Shyam Bhajan] by Narendra Kaushik
सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति गहरी श्रद्धा और उमंग का रंग बिखरता है, जो खाटू से उनके आगमन की खुशी को मनाता है। यह वह हर्ष है, जो मन को पुण्य के अवसर जैसा अनुभव कराता है, मानो हर भक्त की किस्मत चमक उठी हो। चंदन चौक पुराने और मंगल कलश सजाने की बात उस उत्साह को दर्शाती है, जैसे कोई अपने सबसे प्रिय मेहमान के स्वागत में दिल से तैयारी करता है। यह प्रेम और श्रद्धा का ऐसा संगम है, जो हर छोटे-बड़े कार्य को पवित्र बना देता है।
माथे पर तिलक और हार पहनाने का भाव उस आत्मीय प्रेम को दिखाता है, जो श्रीकृष्णजी की मुस्कान में परिपूर्ण हो जाता है। जैसे कोई स्नातक विद्यार्थी अपने गुरु के प्रति सम्मान दिखाने के लिए सावधानी से हर कदम उठाता है, वैसे ही यहाँ भक्त का हर कार्य प्रभु को प्रसन्न करने का प्रयास है। यह प्रेम इतना गहरा है कि वह बाबा की एक मुस्कान में ही अपनी सारी मेहनत सार्थक मान लेता है।
Rajasthani Shyam Bhajan: Kismat Se Subh Din Aaya Album: Shri Shyam Japa Kar Bhai Singer: Narendra Kaushik