कौन कहता है भगवान आते नहीं भजन
कौन कहता है भगवान आते नहीं
स्वीकारो प्रभु मेरा आमंत्रणम ।
कौन कहता है भगवान आते नहीं,
चंदना की तरह हम बुलाते नहीं ॥
यशोदा वल्लभम् वीर जिनेश्वरम,
स्वीकारो प्रभु मेरा आमंत्रणम ।
कौन कहता है भगवान सोते नहीं,
मैय्या त्रिशला के जैसे हम सुलाते नहीं ॥
त्रिजगदीश्वरम, मम हॄदयेश्वरम,
स्वीकारो प्रभु मेरा आमंत्रणम ।
कौन कहता है भगवान सुनते नहीं,
गौतम स्वामी की तरह हम सुनाते नहीं ॥
ॐ ह्रीं श्री अर्हम, महावीरेश्वरम,
स्वीकारो प्रभु मेरा आमंत्रणम,
कौन कहता है भगवान मिलते नहीं,
सच्चे दिल से उन्हें हम बुलाते नहीं ॥
सुंदर भजन में ईश्वर की अनंत कृपा और उनकी सुलभ उपस्थिति को प्रदर्शित किया गया है। यह भाव दर्शाता है कि भगवान सदैव उपस्थित होते हैं, किंतु उन्हें अनुभव करने के लिए सच्चे हृदय से पुकारना आवश्यक है। भक्ति केवल शब्दों तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह हृदय की गहराइयों से उठने वाली पुकार होती है। जब श्रद्धा और प्रेम से उन्हें आमंत्रण दिया जाता है, तब ईश्वर स्वयं अपने भक्त की रक्षा और मार्गदर्शन के लिए प्रकट होते हैं।
भगवान को केवल बाहरी पूजा-अर्चना में नहीं, बल्कि सच्चे प्रेम और निष्ठा में अनुभव किया जाता है। जब मन में शुद्धता होती है और भक्त उन्हें अपने अंतर्मन से बुलाता है, तब वे किसी रूप में उसे उत्तर देते हैं।
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Author - Saroj Jangir
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