म्हारो सेठ साँवरो मोरछड़ी घुमावण लाग रयो लिरिक्स

म्हारो सेठ साँवरो मोरछड़ी घुमावण लाग रयो

खाटू को गज़ब नजारों,
मन भावन लाग रहो,
म्हारो सेठ साँवरो,
मोर छड़ी घुमावन लाग रह्यो।

ये श्याम कुंड की महिमा,
मेरे मुख से वरणी ना जावे,
जो नहावे सच्चे मन से,
फिर पाप सभी धुल जावे,
अमृत सो मीठा पानी,
मन्ने प्यावान लाग रह्यो,
म्हारो सेठ साँवरो,
मोर छड़ी घुमावन लाग रह्यो।

या श्याम बगीची न्यारी,
भगता ने लागे प्यारी,
कोयलड़ी गीत सुनावे,
यु लागी उसको न्यारी,
भगती को रंग नो श्याम धणी,
बरसावन लाग यो
म्हारो सेठ साँवरो,
मोर छड़ी घुमावन लाग रह्यो।

मेरे श्याम धणी की सूरत,
सारे जग से बड़ी निराली,
तेरे नाम डंका बाजे करता,
सबकी रखवाली,
भगता की नैया पल में,
हिलावन लाग रह्यो,
म्हारो सेठ साँवरो,
मोर छड़ी घुमावन लाग रह्यो।

तुझे शीश का दानी बोलू,
या अहलावती को लालो,
तेरे दर पे दलीप भी आवे,
ये गाव खिमोली वालो
अर्पित शर्मा भी तेरा,
गुण गावन लाग रह्यो,
म्हारो सेठ साँवरो,
मोर छड़ी घुमावन लाग रह्यो। 
 
 
इस भजन में खाटू श्याम जी के भक्त अर्पित शर्मा अपने आराध्य देव की महिमा का गुणगान करते हैं। वे खाटू श्याम जी के मंदिर, श्याम कुंड और श्याम बगीची की सुंदरता का वर्णन करते हैं। वे श्याम जी के महान गुणों और उनकी दयालुता की प्रशंसा करते हैं।
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