राणाजी थें जहर दियो म्हे जाणी

राणाजी थें जहर दियो म्हे जाणी लिरिक्स

राणाजी थें जहर दियो म्हे जाणी
राणाजी थें जहर दियो म्हे जाणी।।टेक।।
जैसे कञ्चन दहत अगनि से, निकसत बाराबाणी।
लोकलाज कुल काण जगत की, दृढ बहाय जस वाणी।
अपणे घर का परदा करले, में अबला बौराणी।
तरकस तीर लग्यो मेरे हियरे, गरक ग्यो सनकाणी।
सब संतत पर तन मन वारो, चरण केवल लपटाणी।
मीराँ की प्रभु राखि लई है दासी आपणी जाणी।।

(कञ्चन=सोना, अगिन=अग्नि,आग, बाराबाणी= अत्यन्त दमक वाला, बौराणी=पागल, गरक गयो= गहरा लग गया, सनकाणी=पागल हो गई,कानी समेत,पूरा)
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