होली पिया बिन लागाँ री खारी भजन

होली पिया बिन लागाँ री खारी मीरा बाई पदावली

होली पिया बिन लागाँ री खारी।।टेक।।
सूनो गाँव देस सब सूनो, सूनी सेज अटारी।
सूनी बिरहन पिब बिन डोलें, तज गया पीव पियारी।
बिरहा दुख भारी।
देस बिदेसा णा जावाँ म्हारो अणेसा भारी।
गणताँ गणतां घिस गयाँ रेखाँ आँगरियाँ री सारी।
आयाँ णा री मुरारी।



बाजोयं जांझ मृदंग मुरलिया बाज्यां कर इकतारी।
आयां बसंत पिया घर णारी, म्हारी पीड़ा भारी।
श्याम क्याँरी बिसारी।
ठाँड़ी अरज करां गिरधारी, राख्यां लाल हमारी।
मीराँ रे प्रभु मिलज्यो माधो, जनम जनम री क्वाँरी।
मणे लागी सरण तारी।।
(खारी=फीकी,आनन्दहीन, अणेसा=अन्देसा,संशय,
क्वाँरी=अविवाहित)


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