ऐसी लगन लगाइ कहां तू जासी मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics
ऐसी लगन लगाइ कहां तू जासी
ऐसी लगन लगाइ कहां तू जासी ।।टेक।।
तुम देखे बिन कलि न परति है, तलफि तलफि जिव जासी।
तेरे खातिर जोगण हूँगा करबत लूँगी कासी।
तुम देखे बिन कलि न परति है, तलफि तलफि जिव जासी।
तेरे खातिर जोगण हूँगा करबत लूँगी कासी।
मीरां के प्रभु गिरधरनागर, चरण केवल की दासी।।
पानीमें मीन प्यासी । मोहे सुन सुन आवत हांसी ॥ध्रु०॥
आत्मज्ञानबिन नर भटकत है । कहां मथुरा काशी ॥१॥
भवसागर सब हार भरा है । धुंडत फिरत उदासी ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । सहज मिळे अविनशी ॥३॥
बात क्या कहूं नागरनटकी । नागर नटकी नागर० ॥ध्रु०॥
हूं दधी बेचत जात ब्रिंदावन । छीन लीई मोरी दधीकी मटकी ॥१॥
मोर मुकूट पीतांबर शोभे । अती शोभा उस कौस्तुभ मनकी ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । प्रीत लगी उस मुरलीधरकी ॥३॥
आत्मज्ञानबिन नर भटकत है । कहां मथुरा काशी ॥१॥
भवसागर सब हार भरा है । धुंडत फिरत उदासी ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । सहज मिळे अविनशी ॥३॥
बात क्या कहूं नागरनटकी । नागर नटकी नागर० ॥ध्रु०॥
हूं दधी बेचत जात ब्रिंदावन । छीन लीई मोरी दधीकी मटकी ॥१॥
मोर मुकूट पीतांबर शोभे । अती शोभा उस कौस्तुभ मनकी ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । प्रीत लगी उस मुरलीधरकी ॥३॥
(लगन=प्रेम, जासी=जाता है, कलि न परति है=चैन नहीं मिलता है, जिव=जी,प्राण, करबत,करवत=आरे से
कटना, प्राचीन लोगों का वह विश्वास था कि काशी में आरे से कटने पर मुक्ति मिल जाती है)