पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस लिरिक्स Piy Bin Suno Chhe Mharo Desh Lyrics

पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस लिरिक्स Piy Bin Suno Chhe Mharo Desh Lyrics मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics

पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस
पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस॥
ऐसो है कोई पिवकूं मिलावै, तन मन करूं सब पेस।
तेरे कारण बन बन डोलूं, कर जोगण को भेस॥
अवधि बदीती अजहूं न आए, पंडर हो गया केस।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस॥ 
 
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छैल बिराणे लाख को हे अपणे काज न होइ।
ताके संग सीधारतां हे, भला न कहसी कोइ।
वर हीणों आपणों भलो हे, कोढी कुष्टि कोइ।
जाके संग सीधारतां है, भला कहै सब लोइ।
अबिनासी सूं बालवां हे, जिपसूं सांची प्रीत।
मीरा कूं प्रभु मिल्या हे, ऐहि भगति की रीत॥

डर गयोरी मन मोहनपास, डर गयोरी मन मोहनपास॥१॥
बीरहा दुबारा मैं तो बन बन दौरी। प्राण त्यजुगी करवत लेवगी काशी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हरिचरणकी दासी॥३॥

तुम कीं करो या हूं ज्यानी। तुम०॥ध्रु०॥
ब्रिंद्राजी बनके कुंजगलीनमों। गोधनकी चरैया हूं ज्यानी॥१॥
मोर मुगुट पीतांबर सोभे। मुरलीकी बजैया हूं ज्यानी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। दान दिन ले तब लै हुं ज्यानी॥३॥

म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।।
तन मन धन सब भेंट धरूंगी भजन करूंगी तुम्हारा।
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।।
तुम गुणवंत सुसाहिब कहिये मोमें औगुण सारा।।
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।।
मैं निगुणी कछु गुण नहिं जानूं तुम सा बगसणहारा।।
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।।
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे तुम बिन नैण दुखारा।।
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।। 


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मीरा की भक्ति : विरह वेदना और अनंत प्रेम की प्रतिक हैं कृष्णा। कृष्णा की प्रेम दीवानी है मीरा की भक्ति जो दैहिक नहीं आध्यात्मिक भक्ति है। मीरा ने अपने भजनों में कृष्ण को अपना पति तक मान लिया है। यह भक्ति और समर्पण की पराकाष्ठा है। मीरा की यह भक्ति उनके बालयकाल से ही थी। मीरा की भक्ति कृष्ण की रंग में रंगी है। मीरा की भक्ति में नारी की पराधीनता की एक कसक है जो भक्ति के रंग में और गहरी हो गयी है। मीरा ने कृष्ण को अपना पति मान लिया और अपना मन और तन कृष्ण को समर्पित कर दिया। मीरा की एक एक भावनाएं भी कृष्ण के रंग में रंगी थी। मीरा पद और रचनाएँ राजस्थानी, ब्रज और गुजराती भाषाओं में मिलते हैं और मीरा के पद हृदय की गहरी पीड़ा, विरहानुभूति और प्रेम की तन्मयता से भरे हुए मीराबाई के पद अनमोल संपत्ति हैं। मीरा के पदों में अहम् को समाप्त करके स्वयं को ईश्वर के प्रति पूर्णतया मिलाप है। कृष्ण के प्रति उनका इतना समर्पण है की संसार की समस्त शक्तियां उसे विचलित नहीं कर सकती है। मीरा की कृष्ण भक्ति एक मिशाल है जो स्त्री प्रधान भक्ति भावना का उद्वेलित रूप है।
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