अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों मीरा बाई पदावली
अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों मीरा बाई पदावली
अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों
अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों। तें मोहन वश कीधोरे॥टेक॥
गोकुळमां सौ बात करेरे बाला कां न कुबजे वश लीधोरे॥१॥
मनको सो करी ते लाल अंबाडी अंकुशे वश कीधोरे॥२॥
लवींग सोपारी ने पानना बीदला राधांसु रारुयो कीनोरे॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त दीनोरे॥४॥
(सलुनी=सुंदर, मृगया नैनों=हिरण जैसी आंखों वाली, कीधो= कर लिया, लवींग=लौंग)
अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों। तें मोहन वश कीधोरे॥टेक॥
गोकुळमां सौ बात करेरे बाला कां न कुबजे वश लीधोरे॥१॥
मनको सो करी ते लाल अंबाडी अंकुशे वश कीधोरे॥२॥
लवींग सोपारी ने पानना बीदला राधांसु रारुयो कीनोरे॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त दीनोरे॥४॥
(सलुनी=सुंदर, मृगया नैनों=हिरण जैसी आंखों वाली, कीधो= कर लिया, लवींग=लौंग)
प्रभु का रूप वह अनोखी सुंदरता है, जो हिरण-सी आँखों से आत्मा को बाँध लेता है। यह प्रेम का जादू है, जो मन को मोहन के वश में कर देता है। गोकुल की बाल लीलाएँ हों या कुबजा का प्रेम, प्रभु का हर रूप मन को अपने रंग में रंग देता है, जैसे चंदन की सुगंध हवा में घुल जाती है।
मन की उलझनें, सारी इच्छाएँ, प्रभु की उस एक झलक में शांत हो जाती हैं। वह अंकुश है, जो मन को सही राह पर ले जाता है, जैसे गज को नियंत्रित करने वाला हूक। लौंग, सुपारी, पान का बीड़ा—ये प्रेम की छोटी-छोटी भेंटें हैं, जो राधा और प्रभु के बीच की रार को और गहरा करती हैं। यह प्रेम वह रस है, जो हृदय को तृप्त कर देता है।
गिरधर के चरणों में चित्त समर्पित हो जाए, तो फिर मन कहीं और भटकता नहीं। यह भक्ति वह दीप है, जो आत्मा को प्रभु के प्रेम में डुबो देता है, और जीवन को उनकी सुंदरता के रंग से भर देता है। जैसे फूल अपनी सुगंध माली को अर्पित करता है, वैसे ही भक्त का मन प्रभु को समर्पित हो जाता है।
मन की उलझनें, सारी इच्छाएँ, प्रभु की उस एक झलक में शांत हो जाती हैं। वह अंकुश है, जो मन को सही राह पर ले जाता है, जैसे गज को नियंत्रित करने वाला हूक। लौंग, सुपारी, पान का बीड़ा—ये प्रेम की छोटी-छोटी भेंटें हैं, जो राधा और प्रभु के बीच की रार को और गहरा करती हैं। यह प्रेम वह रस है, जो हृदय को तृप्त कर देता है।
गिरधर के चरणों में चित्त समर्पित हो जाए, तो फिर मन कहीं और भटकता नहीं। यह भक्ति वह दीप है, जो आत्मा को प्रभु के प्रेम में डुबो देता है, और जीवन को उनकी सुंदरता के रंग से भर देता है। जैसे फूल अपनी सुगंध माली को अर्पित करता है, वैसे ही भक्त का मन प्रभु को समर्पित हो जाता है।
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