अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों मीरा बाई पदावली
अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों
अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों। तें मोहन वश कीधोरे॥टेक॥
गोकुळमां सौ बात करेरे बाला कां न कुबजे वश लीधोरे॥१॥
मनको सो करी ते लाल अंबाडी अंकुशे वश कीधोरे॥२॥
लवींग सोपारी ने पानना बीदला राधांसु रारुयो कीनोरे॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त दीनोरे॥४॥
(सलुनी=सुंदर, मृगया नैनों=हिरण जैसी आंखों वाली, कीधो=
कर लिया, लवींग=लौंग)