कैसे जिऊँ री माई, हरि बिन कैसे जिऊ री मीरा बाई पदावली

कैसे जिऊँ री माई, हरि बिन कैसे जिऊ री मीरा बाई पदावली

 कैसे जिऊँ री माई, हरि बिन कैसे जिऊ री
कैसे जिऊँ री माई, हरि बिन कैसे जिऊँ री ।।टेक।।
उदक दादुर पीनवत है, जल से ही उपजाई।
पल एक जल कूँ मीन बिसरे, तलफत मर जाई।
पिया बिन पीली भई रे, ज्यों काठ घुन खाय।
औषध मूल न संचरै, रे बाला बैद फिरि जाय।
उदासी होय बन बन फिरूँ, रे बिथा तन छाई।
दासी मीराँ लाल गिरधर, मिल्या है सुखदाई।।
(उदक=पानी, मीन=मछली, तलफत=तड़प कर, बाला=वल्लभ,प्रियतम)
 
सुमन आयो बदरा । श्यामबिना सुमन आयो बदरा ॥ध्रु०॥
सोबत सपनमों देखत शामकू । भरायो नयन निकल गयो कचरा ॥१॥
मथुरा नगरकी चतुरा मालन । शामकू हार हमकू गजरा ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । समय गयो पिछे मीट गया झगरा ॥३॥

मैया मोकू खिजावत बलजोर । मैया मोकु खिजावत ॥ध्रु०॥
जशोदा माता मील ली जाबे । लायो जमुनाको तीर ॥१॥
जशोदाही गोरी नंदही गोरा । तुम क्यौं भयो शाम सरीर ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । नयनमों बरखत नीर ॥३॥

फिर बाजे बरनै हरीकी मुरलीया सुनोरे । सखी मेरो मन हरलीनो ॥१॥
गोकुल बाजी ब्रिंदाबन बाजी । ज्याय बजी वो तो मथुरा नगरीया ॥२॥
तूं तो बेटो नंद बाबाको । मैं बृषभानकी पुरानी गुजरियां ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । हरिके चरनकी मैं तो बलैया ॥४॥
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