आज मेरेओ भाग जागो मीरा बाई पदावली
आज मेरेओ भाग जागो मीरा बाई पदावली
आज मेरेओ भाग जागो
आज मेरेओ भाग जागो साधु आये पावना॥टेक॥
अंग अंग फूल गये तनकी तपत गये।
सद्गुरु लागे रामा शब्द सोहामणा ॥१॥
नित्य प्रत्यय नेणा निरखु आज अति मनमें हरखू।
बाजत है ताल मृदंग मधुरसे गावणा ॥२॥
मोर मुगुट पीतांबर शोभे छबी देखी मन मोहे।
मीराबाई हरख निरख आनंद बधामणा ॥३॥
(पावना=पवित्र, सोहामणा=सुंदर, हरखू=हर्ष,खुश, निरख=देखकर)
आज मेरेओ भाग जागो साधु आये पावना॥टेक॥
अंग अंग फूल गये तनकी तपत गये।
सद्गुरु लागे रामा शब्द सोहामणा ॥१॥
नित्य प्रत्यय नेणा निरखु आज अति मनमें हरखू।
बाजत है ताल मृदंग मधुरसे गावणा ॥२॥
मोर मुगुट पीतांबर शोभे छबी देखी मन मोहे।
मीराबाई हरख निरख आनंद बधामणा ॥३॥
(पावना=पवित्र, सोहामणा=सुंदर, हरखू=हर्ष,खुश, निरख=देखकर)
साधु के आगमन से मन का भाग्य जाग उठता है, जैसे सोया हृदय प्रभु की भक्ति में खुल जाए। शरीर का हर अंग आनंद से खिल उठता है, और तन की तपन शांत हो जाती है। सद्गुरु के सुंदर शब्द और राम का नाम मन को रिझाते हैं, मानो कोई मधुर राग आत्मा को बांध ले।
नित्य दर्शन की चाह में आँखें तरसती हैं, और ताल-मृदंग के साथ भक्ति का गायन हृदय को हर्ष से भर देता है। मोर-मुकुट और पीतांबर में सजे प्रभु की छवि देखकर मन मोहित हो जाता है। मीरा का हृदय आनंद में डूबा है, जैसे कोई कमल सूरज की रोशनी में खिल उठे। यह भक्ति का वह सुख है, जो आत्मा को प्रभु के दर्शन में लीन कर जीवन को धन्य बनाता है।
नित्य दर्शन की चाह में आँखें तरसती हैं, और ताल-मृदंग के साथ भक्ति का गायन हृदय को हर्ष से भर देता है। मोर-मुकुट और पीतांबर में सजे प्रभु की छवि देखकर मन मोहित हो जाता है। मीरा का हृदय आनंद में डूबा है, जैसे कोई कमल सूरज की रोशनी में खिल उठे। यह भक्ति का वह सुख है, जो आत्मा को प्रभु के दर्शन में लीन कर जीवन को धन्य बनाता है।
Narayan van - आज मारो भाग जागो भले उगो भौण। Aaj maro bhag jago- नारायण वन । guru vandana ।देसी भजन
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