पग घुँघरू बांधि मीरां नाची मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics

पग घुँघरू बांधि मीरां नाची मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics

 पग घुँघरू बांधि मीरां नाची,
मैं तो मेरे नारायण सूं, आपहि हो गई साची
लोग कहँ, मीरा भई बावरी, न्यात कहैं कुल-नासी
विस का प्याला राणी भेज्या, पवित मीरा हॉर्सी
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी
 शब्दार्थ  पग-पैर। नारायण-ईश्वर। आपहि-स्वयं ही। साची-सच्ची। भई-होना। बावरी-पागल। न्यात-परिवार के लोग, बिरादरी। कुल-नासी-कुल का नाश करने वाली। विस-जहर। पीवत-पीती हुई। हाँसी-हँस दी। गिरधर-पर्वत उठाने वाले। नागर-चतुर। अविनासी-अमर।
कैसी जादू डारी । अब तूने कैशी जादु ॥ध्रु०॥
मोर मुगुट पितांबर शोभे । कुंडलकी छबि न्यारी ॥१॥
वृंदाबन कुंजगलीनमों । लुटी गवालन सारी ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल बलहारी ॥३॥

कान्हा कानरीया पेहरीरे ॥ध्रु०॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे । खेल खेलकी गत न्यारीरे ॥१॥
खेल खेलते अकेले रहता । भक्तनकी भीड भारीरे ॥२॥
बीखको प्यालो पीयो हमने । तुह्मारो बीख लहरीरे ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरण कमल बलिहारीरे ॥४॥

कीसनजी नहीं कंसन घर जावो । राणाजी मारो नही ॥ध्रु०॥
तुम नारी अहल्या तारी । कुंटण कीर उद्धारो ॥१॥
कुबेरके द्वार बालद लायो । नरसिंगको काज सुदारो ॥२॥
तुम आये पति मारो दहीको । तिनोपार तनमन वारो ॥३॥
जब मीरा शरण गिरधरकी । जीवन प्राण हमारो ॥४॥

गोपाल राधे कृष्ण गोविंद ॥ गोविंद ॥ध्रु०॥
बाजत झांजरी और मृंदग । और बाजे करताल ॥१॥
मोर मुकुट पीतांबर शोभे । गलां बैजयंती माल ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । भक्तनके प्रतिपाल ॥३॥

एक टिप्पणी भेजें