छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी,नए दौर में लिखेंगे, मिलकर नई कहानी।
हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी॥
(1)
आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं,
क्या देखें उस मंज़िल को जो छोड़ चुके हैं।
चाँद के दर पर जा पहुँचा है आज ज़माना,
नए जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं।
नया ख़ून है, नई उमंगें, अब है नई जवानी।
हम हिंदुस्तानी॥
(2)
हमको कितने ताजमहल हैं और बनाने,
कितने हैं अजंता हमको और सजाने।
अभी पलटना है रुख कितने दरियाओं का,
कितने पर्वत राहों से हैं आज हटाने।
नया ख़ून है, नई उमंगें, अब है नई जवानी।
हम हिंदुस्तानी॥
(3)
आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएँ,
अपने हाथों से अपना भगवान बनाएँ।
राम की इस धरती को, गौतम की भूमि को,
सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएँ।
नया ख़ून है, नई उमंगें, अब है नई जवानी।
हम हिंदुस्तानी॥
(4)
दाग़ ग़ुलामी का धोया है जान लुटा के,
दीप जलाए हैं ये कितने दीप बुझा के।
ली है आज़ादी तो फिर इस आज़ादी को,
रखना होगा हर दुश्मन से आज बचा के।
नया ख़ून है, नई उमंगें, अब है नई जवानी।
हम हिंदुस्तानी॥
(5)
हर ज़र्रा है मोती, आँख उठाकर देखो,
मिट्टी में सोना है, हाथ बढ़ाकर देखो।
सोने की ये गंगा है, चाँदी की जमुना,
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो।
नया ख़ून है, नई उमंगें, अब है नई जवानी।
हम हिंदुस्तानी॥
प्रस्तुत गीत “छोड़ो कल की बातें” बेहद प्रेरणादायक और देशभक्ति से ओतप्रोत है। यह मूलतः मुक़द्दर का सिकंदर (1960) फ़िल्म का प्रसिद्ध गीत है, जिसे कवि शकील बदायूंनी ने लिखा था और संगीत हेमंत कुमार ने दिया था।
सदियों की बेड़ियों को तोड़कर अब नई मंज़िलों की ओर कदम बढ़ चुके हैं। जब दुनिया ने चाँद तक अपनी यात्रा कर ली है, तब भारत भी अपने विज्ञान, विकास और संस्कृति को नए स्तर पर स्थापित कर रहा है। संकल्प और साहस से हर बाधा को पार करने का समय आ चुका है।
भारत की भूमि सृजन और सांस्कृतिक वैभव से परिपूर्ण है। ताजमहल और अजंता जैसे अद्भुत निर्माणों की गौरवगाथा भारत की सृजनशीलता को दर्शाती है। नदी की धाराओं का मार्ग बदलने, पर्वतों को हटाने और नव निर्माण करने की शक्ति आज के युवाओं में विद्यमान है। संकल्पशीलता और परिश्रम के द्वारा असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
मेहनत को सर्वोच्च धर्म मानकर, राष्ट्र की उन्नति के लिए योगदान देना ही सच्चा कर्म है। प्रत्येक व्यक्ति अपने हाथों से अपने भविष्य का निर्माण कर सकता है। यह धरती राम और गौतम की भूमि है, जिसे प्रेम, सद्भावना और परिश्रम से स्वर्ग के समान सुंदर बनाया जा सकता है।
ग़ुलामी का अंधकार अब दूर हो चुका है, लेकिन इसे बनाए रखना भी उतना ही आवश्यक है। यह स्वतंत्रता बलिदानों का परिणाम है, जिसे हर पीढ़ी को संभालना होगा। यही आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की वास्तविक पहचान है।
भारत की मिट्टी उर्वरता से परिपूर्ण है—यहाँ सोना भी जन्म ले सकता है और पत्थर पर भी धान उग सकता है। जो मेहनत से जुड़ता है, वह हर कठिनाई को अवसर में बदल सकता है। आत्मनिर्भरता ही वह मार्ग है, जिससे राष्ट्र नई ऊँचाइयों को छू सकता है।
भारत की भूमि सृजन और सांस्कृतिक वैभव से परिपूर्ण है। ताजमहल और अजंता जैसे अद्भुत निर्माणों की गौरवगाथा भारत की सृजनशीलता को दर्शाती है। नदी की धाराओं का मार्ग बदलने, पर्वतों को हटाने और नव निर्माण करने की शक्ति आज के युवाओं में विद्यमान है। संकल्पशीलता और परिश्रम के द्वारा असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
मेहनत को सर्वोच्च धर्म मानकर, राष्ट्र की उन्नति के लिए योगदान देना ही सच्चा कर्म है। प्रत्येक व्यक्ति अपने हाथों से अपने भविष्य का निर्माण कर सकता है। यह धरती राम और गौतम की भूमि है, जिसे प्रेम, सद्भावना और परिश्रम से स्वर्ग के समान सुंदर बनाया जा सकता है।
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भारत की मिट्टी उर्वरता से परिपूर्ण है—यहाँ सोना भी जन्म ले सकता है और पत्थर पर भी धान उग सकता है। जो मेहनत से जुड़ता है, वह हर कठिनाई को अवसर में बदल सकता है। आत्मनिर्भरता ही वह मार्ग है, जिससे राष्ट्र नई ऊँचाइयों को छू सकता है।