रहीम के दोहे लिरिक्स Rahim Ke Dohe Lyrics : Rahim Ke Dohe Hindi Me
आँखि न देखे बावरा, शब्द सुनै नहिं कान ।
सिर के केस उज्ज्वल भये, अबहु निपट अजान ॥
ज्ञानी होय सो मानही, बूझै शब्द हमार ।
कहैं कबीर सो बाँचि है, और सकल जमधार ॥
जोबन मिकदारी तजी, चली निशान बजाय ।
सिर पर सेत सिरायचा दिया बुढ़ापै आय ॥
कबीर टुक-टुक चोंगता, पल-पल गयी बिहाय ।
जिव जंजाले पड़ि रहा, दियरा दममा आय ॥
झूठे सुख को सुख कहै, मानत है मन मोद ।
जगत् चबैना काल का, कछु मूठी कछु गोद ॥
काल जीव को ग्रासई, बहुत कह्यो समुझाय ।
कहैं कबीर में क्या करूँ, कोई नहीं पतियाय ॥
निश्चय काल गरासही, बहुत कहा समुझाय ।
कहैं कबीर मैं का कहूँ, देखत न पतियाय ॥
जो उगै तो आथवै, फूलै सो कुम्हिलाय ।
जो चुने सो ढ़हि पड़ै, जनमें सो मरि जाय ॥
कुशल-कुशल जो पूछता, जग में रहा न कोय ।
जरा मुई न भय मुवा, कुशल कहाँ ते होय ॥
जरा श्वान जोबन ससा, काल अहेरी नित्त ।
दो बैरी बिच झोंपड़ा कुशल कहाँ सो मित्र ॥