रहीम के दोहे हिंदी में Rahim Ke Dohe Hindi Me

 रहीम के दोहे हिंदी में Rahim Ke Dohe Hindi Me

देखा देखी भक्ति का, कबहुँ न चढ़ सी रंग ।
बिपति पड़े यों छाड़सी, केचुलि तजत भुजंग ॥

आरत है गुरु भक्ति करूँ, सब कारज सिध होय ।
करम जाल भौजाल में, भक्त फँसे नहिं कोय ॥

जब लग भक्ति सकाम है, तब लग निष्फल सेव ।
कहैं कबीर वह क्यों मिलै, निहकामी निजदेव ॥

पेटे में भक्ति करै, ताका नाम सपूत ।
मायाधारी मसखरैं, लेते गये अऊत ॥

निर्पक्षा की भक्ति है, निर्मोही को ज्ञान ।
निरद्वंद्वी की भक्ति है, निर्लोभी निर्बान ॥

तिमिर गया रवि देखते, मुमति गयी गुरु ज्ञान ।
सुमति गयी अति लोभ ते, भक्ति गयी अभिमान ॥

खेत बिगारेउ खरतुआ, सभा बिगारी कूर ।
भक्ति बिगारी लालची, ज्यों केसर में घूर ॥

ज्ञान सपूरण न भिदा, हिरदा नाहिं जुड़ाय ।
देखा देखी भक्ति का, रंग नहीं ठहराय ॥

भक्ति पन्थ बहुत कठिन है, रती न चालै खोट ।
निराधार का खोल है, अधर धार की चोट ॥

भक्तन की यह रीति है, बंधे करे जो भाव ।
परमारथ के कारने यह तन रहो कि जाव ॥

भक्ति महल बहु ऊँच है, दूरहि ते दरशाय ।
जो कोई जन भक्ति करे, शोभा बरनि न जाय ॥
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