आरती श्री साई गुरुवर की, परमानंद सदा गुरुवर की | जाकी कृपा विपुल सुखकारी, दु:ख शोक संकट भयहारी | शिरडी में अवतार रचाया, चमत्कार से तत्व दिखाया | कितने भक्त शरण में आये, वे सुख शंति निरंतर पाये | भाव धरे जो मन में जैसा, साई का अनुभव वैसा | गुरु की उदी लगावे तन को, समाधान लाभत उस तन को | साई नाम सदा जो गावें, सो फल जग में शाश्वत पावें | गुरुवासर करि पूजा सेवा, उस पर कृपा करत गुरु देवा | राम कृष्ण हनुमान रुप में, दे दर्शन जानत जो मन में | विविध धर्म के सेवक आतें, दर्शन कर इच्छित फल पातें | जै बोलो साई बाबा की, जै बोलो अवधूत गुरु की | साई की आरती जो कोई गावे, घर में बसि सुख मंगल पावे | आरती श्री साई गुरुवर की अनंत कोटि ब्रह्माण्ड़ नायक, राजाधिराज योगीराज जय जय जय साई बाबा की आरती श्री साई गुरुवर की
शिरडी के साईं बाबा भारत की समृद्ध संत परंपरा में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। उनकी अधिकांश उत्पत्ति और जीवन अज्ञात है, लेकिन वह हिंदू और मुस्लिम दोनों भक्तों द्वारा आत्म-साक्षात्कार और पूर्णता के अवतार के रूप में साई को स्वीकारते हैं। भले ही साईं बाबा ने अपने व्यक्तिगत व्यवहार में मुस्लिम प्रार्थनाओं और प्रथाओं का पालन किया, लेकिन वे खुले तौर पर किसी भी धर्म के कट्टरपंथी व्यवहार से घृणा करते थे। इसके बजाय, प्रेम और न्याय के संदेशों के माध्यम से, वह मानव जाति के जागरण में विश्वास करते थे।